मंगल देता है सजा—

मंगल खून और मज्जा का स्वामी है,कानों में बैठ कर सुनने का बल देता है,तथा मनोबल को कुछ भी पास में नही रहने पर बनाये रखता है।मंगल लडाई झगडे का कारक भी है,इसलिये पुलिस मिलट्री आदि रक्षा संस्थानो में नौकरी करवाने का सहायक भी है। इसका रंग लाल है,यदि यह जोश नही पैदा करे तो संसार में लडाई झगडे आदि नही हो सकते है। पिछले जीवन में (जो जीवन बीत गया है) अच्छे काम करने परोपकार करने के कारण यह मंगल फ़ौज मिलट्री डाक्टरी और इन्जीनियरिंग होटल आदि के व्यवसाय से शान शौकत देता है,तकनीकी क्षेत्रों में ख्याति और नाम देता है,लेकिन जब मंगल को बिगाडना होता है तो राहु अपना बल जातक को देने लगता है,जातक को शराब पीने की आदत पड जाती है पुरुष है तो स्त्री को और स्त्री है तो पुरुष को प्रताडना देना शुरु कर देता है। उसके गलत सम्बन्ध बनने लगते है,वह अन्य स्त्रियों या पुरुषों में अपने मन को लगाने लगता है,अपने पराक्रम का दुरुपयोग करने लगता है,यह कारण भी माना जाता है कि बुध अगर मंगल के साथ कहीं से भी सम्बन्ध रखता है तो उसकी सामाजिक पोजीसन के साथ साथ आगे की सन्तान जीवन सभी कुछ बरबाद कर देता है। वैसे बुध और मंगल सूर्य के मित्र है लेकिन बुध जब मंगल को सहायता देने लगे तो वह सूर्य को भी गर्त में डालने में नही चूकता है। बुध मंगल को गर्त मे ले जाने के लिये चन्द्र और शनि की सहायता लेता है,राहु उसके ऊपर हावी होता है,वह अपने को सुपीरियर समझने लगता है। मंगल का प्रभाव अक्सर परिवार की तबाही के लिये जिम्मेदार भी माना जाता है,जातक पर जब राहु का नशा चढता है तो वह अपने नेक मंगल को भी बद मंगल में बदल देता है। वह किसी प्रकार की पदवी पाकर अपने पराक्रम का दुरुपयोग करने लगता है,धन के नशे में चूर होकर अपने धन को और अधिक बढाने के लिये नये नये पाप करने लगता है,किसी प्रकार से उसकी इच्छा शान्त नही होती है,खून खराबी मारपीट लूटपाट आदि करने में उसे कतई हिचकिचाहट नही होती है,खून खराबा करने के बाद अपने व्यवसाय को बढाने लगता है,और अहंकार के मद में दया और धर्म को दरकिनार कर देता है,अपने मद में वह लुटेरों की फ़ौज इकट्टी कर लेता है,दूसरों से पैसा लेकर हत्या करवाना,डाकुओं की संगति में रहकर लूटपाट और निर्दोष लोगों की हत्या करना आदि उसके मुख्य व्यवसाय बन जाते है,अपने अहम के कारण अपने ही लोगों को बरबाद करना घर और गांव को बरबाद कर देना,शहर के अन्दर आतंक फ़ैलाकर अपने नाम और शौहरत के लिये कुछ भी करवा देना आदि बातें मंगल के बद होने से और राहु की संगति के कारण बन जाते है। बद मंगल वाला अधिकतर मामलों में हथियारों की नोक पर धन कमाने का काम करने लगता है,जो भी धन मिलता है उसका पूर्ण रूप से दुरुपयोग करने लगता है,शास्त्र धर्म की आज्ञा को एक तरफ़ रख देता है,और जघन्य से जघन्य अपराध करना शुरु कर देता है। प्रकृति सभी बातों के संतुलन के लिये अपने अपने हथियार समय पर प्रयोग करती है,जब व्यक्ति को अधिक मद हो जाता है तो वह अपने ही हथियास से उसे काट देती है,कितना ही चालाक या बल वाला हो लेकिन प्रकृति के हथियार के वार से वह बच नही सकता है। इसके के लिये प्रकृति ने मंगल को ही उसे सजा देने के लिये नियुक्त किया हुआ है,जैसे ही वह प्रकृति के संतुलन को बिगाडने की कोशिश करता है,उसे मंगल आजीवन कष्ट देने के लिये अपनी योग्यता को देने लगता है,एक ही जन्म में नही वह दूसरे जन्मों में भी अपनी की गयी करतूतों को भुगतने के लिये मजबूर होता है। जब तक उसके पापों का प्रायश्चित नही हो जाता है मंगल उसे अस्पताल में रगडता है,घर की संतान को अपंग लूला लंगडा अपाहिज मंदबुद्धि बना देता है,पुत्री संतान को वह चरित्र हीन बना देता है उसका ही जीवन साथी उसे कदम कदम पर धोखा देने लगता है,हाथ पैर या किसी अंग से अपाहिज बनाकर दर दर की ठोकरें खाने के लिये मजबूर कर देता है। जब तक मंगल उसके पिछले कृत्यों की सजा पूरी नही कर लेता है तब तक जातक का पिंड नही छोडता है। जातक सोचता है कि मैने तो कभी पाप नही किया है,मैं धार्मिक हूँ मैं पूजापाठ में मन लगाता हूँ,मै समाज की सेवा करता हूँ,फ़िर उसे कष्ट क्यों मिल रहे है। इस प्रकार के जातक अपने पूर्व जन्मों का भुगतान प्राप्त कर रहे होते हैं। इसकी पहिचान के लिये देखा गया है कि जातक पहले तो धन सम्बन्धी काम करता है,फ़िर घर में ही अस्पताल या इन्जीनियरिंग के अथवा भोजन पका कर बेचने का काम शुरु करता है,फ़िर सरकारी कामो की ठेकेदारी या राजनीति में हिस्सा लेकर अपने को राजनीतिक बना लेता है,उस के बाद उसके घर में अधिक ध्यान नही देने और अपने बच्चों और पत्नी को सही रूप से नही संभालने के कारण वे रास्ता भटक जाते है,कभी कभी वह अपने बच्चों के साथ बैठता है तो वह अपने ही परिवार के प्रति उनके दिल में बुरी भावनायें भरता है,जिससे समय पडने पर और बच्चों को कष्ट के समय कोई परिवार वाला भी उनके साथ नही आ पाये,यह सब होने के बाद मंगल सीधे से उसे किसी बडे अस्पताल या जेलखाने में पहुंचाने का बन्दोबस्त कर देता है जहां जातक भरपूर शक्तिवान होते हुये भी गंदगी भरे वातावरण में रहने को मजबूर हो जाता है। मंगल सबसे बडा दण्ड यह देता है कि वह जातक का मनोबल गिरा देता है,जिससे वह सारी उम्र घर के अन्दर पडा रहता है या फ़िर जेल खाने या अस्पताल में सडता रहता है।

वर्तमान मे मंगल का स्थान भारतवर्ष की कुंडली में नवम भाव मे सूर्य के साथ है,सूर्य भारत की आत्मा के रूप में है और भारत की आत्मा भारत के दाहिने भू-भाग में स्थापित है। भारत की कुंडली में शनि कन्या राशि का होकर वर्तमान में पंचम भाव मे है जो भारत की आत्मा को अपने अन्धकार और ठंडक से कलुषित कर रहा है,जन जीवन में भ्रष्टाचार और अनैतिकता से कितने ही दोष उपस्थित होकर सामने आ रहे है,यही मंगल भारत वर्ष की कुण्डली में दूसरे भाव में है जो धन और कुटुम्ब का कारक कहा जाता है, मिथुन राशि में होने के कारण यह कमन्यूकेशन के मामले में अपनी तकनीकी बुद्धि को प्रकाशित भी करता है,इसी कारण से पिछले कुछ दशकों से भारत में जो कमन्यूकेशन के मामले में बढावा मिला है वह भी एक तंत्र के कारण माना जाता है। यह तंत्र मंगल की स्थिति के रूप में भी माना जा सकता है। वर्तमान में मंगल से मंगल ही षडाष्टक योग बना रहा है और जो भी कार्य कमन्यूकेशन के रूप में माने जाते है एक दूसरे के प्रति ही अपनी अपनी दुर्भावना को प्रकट करने से बाज नही आ रहे है। कानून का कारक गुरु भारत की कुंडली में छठे भाव में पडा है जो नौकरशाही के नाम से जाना जाता है,और वर्तमान में भारत की कुंडली में लाभ के भाव में विद्यमान है। कानूनी नौकरशाही वर्तमान में लगातार लाभ के लिये अपने अपने प्रयासों में तेजी लाने की कारक भी है। लेकिन यह अधिक दिन तक नही चलने वाला यही गुरु मई से अपने स्थान को बदलेगा और कानूनी नौकरशाही के अन्दर अपना भूचाल किसी एक तंत्रात्मक कानून के रूप में मचाने से बाज नही आयेगा,जो भी कानूनी रूप से अपने को छुपा रुस्तम मानकर कानून को बेचने का कार्य करने की कोशिश कर रहे है यही गुरु अपनी स्थिति से अक्समात ही सभी नौकरशाही के रवैये को बे-पर्दा करने से नही चूकेगा,और अपनी छवि बनाने के लिये जो रुख अपनाया जायेगा वह भारत के लिये सदैव याद रखने के लिये माना जायेगा। मंगल से युति लेने के बाद गुरु रक्षा सेवाओं से सीधा जुडेगा और जहां भी अनीति देखी जायेगी वहाँ पर एक तंत्रात्मक कानून फ़ोर्स से लगाया जाना माना जाता है। भारतवर्ष के ह्रदय पर राज करने के लिये शनि भी नवम्बर से अपनी व्यापार वाली नीति से साझा सरकार बनाने के लिये अपनी चाल चले बिना नही मानेगा।

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