भारत की कुन्डली मे लगन मे केतु आज की तारीख मे विराजमान है,केतु का देखना तीसरे भाव मे सराकर के घर मे है और शिक्षा वाले घर मे है,सप्तम मे वह सूर्य शुक्र और बक्री बुध की ओर देख रहा है। तथा नवे भाव मे विराजमान गुरु को देख रहा है। केतु भारत का प्रधानमंत्री है,और प्रधान मंत्री को देखने वाले लोगों में राज्य की महान हस्तियां धनवान लोग और व्यापारी लोग है,केतु का समर्थक राहु है लेकिन राहु जो मुसलमान के रूप मे है वह भी इन्ही लोगों के साथ है,केतु पश्चिम के देशों के प्रधानो से राय ले रहा है कि जो समस्यायें चल रही है उनके बारे मे क्या किया जा सकता है।

सरकार तो कह रही है वह अब जाने वाली है और उस पर मुस्लिम शासकों का शिकंजा पूरी तरह से कस गया है,देश का प्रधान मंत्री बनाने के लिये कोई मुस्लिम सामने आ रहा है,इधर लाभ और कर्जा दुश्मनी तथा बीमारियां प्रदान करने वाला मंगल केतु के सामने धन भाव मे बैठा है,लाभ भाव मे धन भाव का मालिक चन्द्रमा जनता के रूप मे बैठा है,लाभ और धन का मालिक अब बक्री हो चुका है और वह केतु की तरफ़ अपनी नीच हरकत को लेकर बढता चला जा रहा है। जैसे जैसे केतु की तरफ़ मंगल बढता जा रहा है वैसे वैसे केतु को समर्थन देने वाला ग्रह राहु भी कर्जा दुश्मनी और बीमारी की तरफ़ बढता चला जा रहा है।

वैसे केतु और मंगल की टक्कर नही हो पायेगी,उसके पहले ही सरकार नामका सूर्यआने वाली चौदह जनवरी के आसपास खड्डे मे पडी मकर राशि मे चला जायेगा और यह सरकार के लिये गिरने जैसी बात भी हो सकती है,इधर सरकार को बल देने वाली कांग्रेस का कारक बुध बक्री है,उसकी आवाज भी आजकल बन्द सी हो रही है उसके ऊपर भी कोई बडा शिकंजा घिरता चला जा रहा है,और हो सकता है कि पंजाब के कुछ लोग इस सरकार के प्रति अपनी कोई चाल बना रहे हो.गुरु के अन्दर एक तो डिग्री कम है और दूसरे वह केतु को जो मृत प्राय पडा है को सांस दे रहा है.केतु सांस को लेकर इस नीच मंगल से लडने को दम भरता है और मंगल नीच का होकर बक्री है और उसे कुछ समझ मे नही आ रहा है।

इस केतु की जगह अब मोबाइल कम्पनियों को भी लिया जा सकता है,आज तीन कम्पनिया भारत मे मुख्य रह गई है,रिलायन्स,टाटा और बी एस एन एल,इन कम्पनियों के लिये,बी एस एन एल कोई नया काम करने जा रहाहै जो वह जनवरी के महिने मे अपनी घोषणा करेगा,कारण टाटा ने अपने मोबाइलों में नई नई स्कीम निकाल कर बाकी की कम्पनियों की हवा निकालनी शुरु कर दी है,उसकी गाडी पहले हिचकोले खा खा कर चल रही थी,उसके पास समझदारी है और वह जैसे धीरे धीरे करके मरसर्डीज गाडी के मामले मे अचानक सामने आया था और लोग बाकी की कम्पनियों की गाडिया लेना ही भूल गये थे,अब उसकी पूरी निगाह भारत की मोबाइल व्यवस्था पर है,बाकी की कम्पनियां जो जनता से कमाकर अपने अपने घर भरती चली जा रही थी,अब यह सोचने को मजबूर है कि उनके लिये जो पहले बहुत बडा स्टाफ़ काफ़ी मंहगी सेलरी पर नियुक्त था,अब वह लगातार काम करने के लिये बेकार सा होता जा रहा है उधर जनता के अन्दर टाटा के मोबाइलों के लिये भीड लगने लगी है,और वह एक रुपये मे दस मिनट तक बात करवाने के लिये तैयार हो गया है तो बाकी का क्या हो सकता है,बाकी की कम्पनी के सेल्स वाले भागते घूमेंगे और अपनी अपनी सेल्स को नौकरी बचाने के चक्कर मे बढाने के लिये झूठ सांच का सहारा देंगे लेकिन टाटा वाले केवल अपनी एजेंसी देकर ही काम करवाते रहेंगे,यह सब खेल केतु का है और आगे चल कर लगभग तीन साल के बाद एक ही कम्पनी सामने होगी और वह होगी टाटा।

इसी केतु को अगर दलालों के रूप में लाये तो उनके लिये मंगल के शिकंजे कसने चालू हो गये है,यहां तक कि स्थानीय पुलिस भी समझ चुकी है कि दलालों की कितनी कमाई है,दलालों का जो काम जमीन आदि को अधिक से अधिक कमाने के चक्कर मे एक दूसरे को बेच कर और पुलिस को लेदे कर काम चला लिया जाता था वह भी अब सबके सामने आने से पुलिस भी सीधे से जमीन को कई जगह बेच कर फ़्रोड करने वाले दलालों को अन्दर किये जा रही है। लेकिन दलाल भी अन्दर जाकर इसलिये सुरक्षित है क्यों कि जनता जो लाभ भाव मे चन्द्रमा के रूप में विराजमान है,वकीलो और अदालतों से तंग आकर सीधे से हमला करने के मूड मे है,और वह भी चाहती है कि रुपया गया सो गया अब सामने आजाये तो कम से कम हाथ पैर तो एक जगह कर ही दिये जावे।

जो लोग अभी तक केतु नामक दलालों को बल देने वाले थे,वे अपनी अपनी जुबान को घुमाने लगे है,यह कार्य बुध के बक्री होने से माना जा सकता है,बुध बक्री होकर खुद को कर्जा दुश्मनी और बीमारी की तरफ़ देख रहा है,इधर बुध को कानूनी और अदालत वाली बातें भी अखर रही है,वह भारत मे राज करने के लिये आया था लेकिन अब खुद संकट मे घिर कर अपना पल्ला बचाने के मूड मे है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here