इनके कारण होता हें कोई भी बच्चा सुंदर !!!!

सभी  स्त्री-पुरूष चाहें वे खुद सुंदर हो या न हों पर अपनी संतान को वे सुंदर ही देखना चाहते हैं। सुंदर दिखने और सौन्दर्य बनाए रखने के लिए कोई व्यक्ति अपनी सामथ्र्य से जितना जतन कर सकता है, वह करता है। निम्न  वर्ग से लेकर राजे-महाराजाओं सभी में सुंदर बने रहने की इच्छा समान रूप से होती है। 

किसी व्यक्ति का स्वरूप उसके व्यक्तित्व का आईना होता है। स्वरूप की लावण्यता मात्र देह के रंग पर ही निर्भर नहीं होती अपितु व्यक्ति की कद-काठी, नाक-नक्श और भाषा व अभिव्यक्ति तथा शिक्षा ये सभी घटक मिलकर सच्चाी सुंदरता प्रदान करते हैं। कुछ लोग ऎसे होते हैं जिनको एक बार देखकर अनायास ही बार-बार देखने की जिज्ञासा होती है। व्यक्ति जिस देश, कुल, जाति का हो, उनको ध्यान में रखकर ही स्वरूप का विचार किया जाना चाहिए। विद्वानों को इस विषय में राशि शीलाध्याय और ग्रह गुणाध्याय का गंभीरता से अध्ययन करना चाहिए। 
सबसे पहले यदि हम शारीरिक कद-काठी व नाक-नक्श का विचार करें तो यह कहा जायेगा कि लग्न, नवांश लग्न में शुभ ग्रहों (गुरू, शुक्र, बुध, पूर्ण चंद्र) की राशियां हों और लग्न स्वामी ग्रह बलवान हों। लग्न में स्थित शुभ ग्रह भी शरीर को लावण्यता देते हैं। सूर्य, शनि, मंगल व राहु-केतु अपेक्षाकृत कठोर ग्रह हैं और ये देह को कठोरता व मजबूती तो दे सकते हैं परंतु कोमलता व सौम्यता नहीं दे सकते। बिना कोमलता व सौम्यता के देह विचित्र सी लगती है।जैसे किसी व्यक्ति का उन्नत व विस्तृत ललाट जो कि किसी भी चोट के निशान से रहित हो, उसके भाग्यशाली होने व सूर्य के बलवान होने का स्पष्ट लक्षण है, लेकिन सूर्य जब कुपित मंगल से पी़डत हों तो ललाट पर चोट के निशान पाये जाते हैं। 
जन्मकुण्डली में बलवान सूर्य ललाट पर जोरदार चमक पैदा करते हैं। कुछ व्यक्ति का ललाट इतना अधिक उन्नत होने लगता है कि उनके सिर से बाल भी कम हो जाते हैं। चेहरे की त्वचा का तना हुआ रहना भी बलवान सूर्य का लक्षण है लेकिन चेहरा अपेक्षाकृत थो़डा सा ब़डा भी हो जाता है। कालपुरूष के सिर व मुख पर सूर्य का अधिकार है। गोल व मोटी आँखें चंद्रमा की निशानी हैं। कालपुरूष के ह्वदय पर चंद्रमा का अधिकार है। ह्वदय की विशालता या मनुष्य की सहजता का अनुमान उसकी आँखों से लगाया जा सकता है। मोटी आँखें जो नीलिमा लिए हों और आद्रüता भरी हों तो यह चंद्रमा का ही प्रभाव है लेकिन आँखों में गजब की चमक सफेदी लिए हो परंतु आँखों में थो़डा भेंगा या टेढ़ापन हो तो यह बली शुक्र की निशानी है। शुक्र अभिनय के कारक हैं और जितनी भी सफल अभिनेत्रियाँ या अभिनेता हैं उनकी आँखों में टेढ़ापन देखा जा सकता है, वे जो कि आइटम कलाकार के रूप में ख्यातनाम हुए हैं लेकिन जो चरित्र अभिनेता हुए हैं, उनकी आँखों पर चंद्रमा का प्रभाव रहा। 
जिन जातकों की कुण्डली में सूर्य, शुक्र और चंद्रमा बलवान होते हैं और जन्म लग्न पर उनका प्रभाव होता है, उनमें शानदार आकर्षण होता है। चेहरे पर चमक सूर्य देव प्रदान करते हैं। आंखों में आकर्षण चंद्रमा व शुक्र दोनों ही ला सकते हैं और त्वचा का गुलाबीपन व लावण्यता मंगल के कारण आती है। 
ये तीन ग्रह जिनकी कुण्डली में बलवान होते हैं वे बिना शंृगार या मेकअप के भी सौंदर्य छटा बिखेर देते हैं। शरीर की लंबाई और गर्दन व अंगुलियों की लंबाई भी सूर्य के अधीन होती है क्योंकि सूर्य अस्थियों के कारक हैं। सुंदरता की आधारशिला व्यक्ति की लंबाई व उसका मोटापा होता है। सूर्य प्रधान व्यक्ति मोटापे का शिकार अपेक्षाकृत कम ही होते हैं। 
सूर्य व चंद्रमा बलवान होकर जहाँ शुद्धता व स्वच्छता की मात्रा बढ़ाते हैं तो शुक्र स्वास्थ्य व देह की देखभाल के प्रति सतत प्रयोग करते रहने की मानसिकता देते हैं। 
जिनकी कुण्डली में शनि बलवान होते हैं वे ब्यूटी कॉम्पटीशन्स में सफलता नहीं पा सकते परंतु जहाँ चरित्र व कर्मगत सौन्दर्य या अनुशासन की प्रतियोगिता होती है वे वहाँ सफल हो जाते हैं लेकिन शनि का चंद्रमा या शुक्र से संबंध हो तो व्यक्ति ब्लैक ब्यूटी का उदाहरण बन जाता है। 
स्मिता पाटिल ऎसी ही थी। 
शनिदेव साधारण जीवन जीने की मनोवृत्ति को जन्म देते हैं, जहाँ दिखावे और आडम्बर को कोई स्थान नहीं मिलता। शनि जिनके ऊपर प्रभावी रहते हैं वे अक्सर शेविंग करने में भी लापरवाही बरतते दिखाई दे जाते हैं। अक्सर उन लोगों की दाढ़ी बढ़ी हुई मिलती है। चाल-ढाल और व्यवहार में साधारणता देखी जाती है। 
जिनके मंगल बलवान होते हैं वे अपनी देह को कठोर से कठोर बना सकते हैं। बॉडी मेकिंग कर सकते हैं, योगासन में दक्ष हो सकते हैं और शारीरिक सौष्ठव के माध्यम से अंग-प्रदर्शन कर नाम कमा सकते हैं परंतु कोमलता दूर तक नहीं मिलती। यदि कुण्डली में बलवान शुक्र को थो़डा सा मंगल का सहयोग मिले तो रूप में जो लालिमा आती है वह अद्भुत होती है। कितनी ही सुन्दर मूरत हो, आँख, नाक और होंठ व दाँत व ललाट ठीक-ठाक अनुपात में नहीं हों तो सारा रूप धरा रह जाता है।
भाल की विशालता और नाक का उभार सूर्य के अधीन है तो होठों की लालिमा और अंग सौष्ठव चंद्रमा व शुक्र के अधीन हैं। बलवान शुक्र यदि शनि के दृष्टिक्षेत्र में हों या शनि के नवांश में हों तो होंठों के पास काले तिल या मस्से का निशान मिल जायेगा, जो सौंदर्याकर्षण बढ़ायेगा परंतु ऎसा तभी होगा, जबकि चंद्रमा बलवान हों अन्यथा होठों पर लालिमा की जगह थो़डी कालिमा दिखाई देगी। 
दैहिक आकर्षण के कत्ताü-धर्ता तो सूर्य, शुक्र व चंद्रमा ही है परंतु अन्य ग्रहों का संबंध होने पर रूप में परिवर्तन आ जाता है जैसे बुध यदि बलवान हों और जन्म लग्न व चंद्रमा पर बुध या बुध की राशि का प्रभाव हो तो उन व्यक्तियों का वर्ण गेहँुआ हो जायेगा। नाक-नक्श अनुपात के होंगे। होठों का आकार सामान्य रहेगी, परंतु गेहँुए वर्ण की देह पर हरी-हरी नसें स्पष्ट दिखाई देंगी, जो सौंदर्याकर्षण में बाधक भी लगेंगी। 
सूर्य-चंद्रमा व दूसरे या बारहवें भाव पर राहु का प्रभाव जब प़डता है तो आँखें थो़डी भूरी हो जाती हैं। रेटिना तो थो़डी नीलिमा लिए होगा पर हीरा थो़डा भूरा हो जायेगा। हीरा जब भूरा हो जाता है तो आँखों के वास्तविक सौंदर्य पर ग्रहण लगा देता है लेकिन ऎसा व्यक्ति चतुर बहुत होता है। सूर्य व शुक्र बली होने पर जातक के शरीर पर केश या रोम भी अपेक्षाकृत कम होते हैं परंतु शनि बलवान हों तो शरीर पर केश या रोम बहुतायत में होते हैं। 
बाल जब घुंघराले होते हैं तो सुंदरता में चार चाँद लगा देते हैं। घुंघराले बाल बलवान शुक्र की निशानी होते हैं। जैसाकि पूर्व में कहा है सुंदरता कई घटकों का सम्मिश्रण होती है लेकिन मानव शरीर के जिन अंगों पर सूर्य-शुक्र व चंद्रमा का अधिकार होता है वे अंग किसी व्यक्ति को सुंदर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उच्चा राशि या सिंह राशिगत सूर्य कुण्डली के दु:स्थानों (6, 8, ..) में हों या राहु या शनि से दृष्ट हों तो ऎसे व्यक्तियों के गालों पर झाइयाँ प़डने का डर रहता है। महिलाओं में यह रोग अधिक पाया जाता है। केल्शियम की कमी होने का डर रहता है। उन व्यक्तियों को अपने शरीर में केल्शियम की मात्रा का अनुपात जाँच कराते रहना चाहिए और जब कभी कम हो तो केल्शियम की दवाइयों के साथ सूर्य देव की भी आराधना करें। इस स्थिति में किसी दुर्घटनावश फे्रक्चर होने या अंग-विकृति आने का भी डर बराबर रहता है, जिसे सावधानी पूर्वक पार करना चाहिए।
 
इन बातों का आप भी रखें ध्यान—
बालक की सुंदरता बढ़ाने में माता का महत्वपूर्ण योगदान होता है। गर्भावस्था के दौरान यदि महिला अपने खान-पान और रहन-सहन पर ध्यान दें तो उनके बच्चो गौर वर्ण के और सुंदर पैदा होते हैं। गर्भावस्था के दौरान कच्चो नारियल की गिरी खाने से बच्चा सुंदर तो होगा ही साथ ही उस शिशु की अस्थियाँ भी मजबूत होती हैं। 
इसी तरह गर्भवती महिला को प्रतिदिन केसर मिश्रित दूध पीना चाहिए, इससे बच्चा गोरा पैदा होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गर्भवती महिला को अपने तन-मन व विचारों की शुद्धता व स्वच्छता का ध्यान रखना चाहिए। महिला जैसा सोचती है, विचारती है वैसी ही उसकी संतान पैदा होती है। साथ ही माता-पिता जैसा जीवनयापन करते हैं, संतान भी तदनुरूप ही आचरण करती है।

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