ये हें शनि ग्रह की शांति हेतु  उपाय / टोटके …

सूर्य पुत्र शनि देव का नाम सुनकर लोग सहम से जाते है लेकिन हिसा कुछ नहीं है ,बेसक शनि देव की गिनती अशुभ ग्रहों में होती है लेकिन शनि देव इन्शान के कर्मो के अनुसार ही फल देते है , शनि बुर कर्मो का दंड भी देते है।

एक समय में केवल एक ही उपाय करें.उपाय कम से कम 4. दिन और अधिक से अधिक 4. दिनो तक करें.यदि किसी करणवश नागा/ गेप  हो तो फिर से प्रारम्भ करें., 


यदि कोइ उपाय नहीं कर सकता तो खून का रिश्तेदार ( भाई, पिता, पुत्र इत्यादि) भी कर सकता है.–

१- ऐसे जातक को मांस , मदिरा, बीडी- सिगरेट नशीला पदार्थ आदि का सेवन न करे ,
२-हनुमान जी की पूजा करे , बंरंग बाण का पाठ करे ,
३- पीपल को जल दे अगर ज्यादा ही शनि परेशां करे तो शनिवार के दिन शमसान घाट या नदी के किनारे पीपल का पेड़ लगाये ,
४-सवा किलो सरसों का तेल किसी मिट्टी के कुल्डह में भरकर काला कपडा बांधकर किसी को दान दे दें या नदी के किनारे भूमि में दबाये .
५-शनि के मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार पाठ करें। मंत्र है ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। या शनिवार को शनि मन्त्र ॐ शनैश्वराय नम का २३,००० जाप करे .
६- उडद के आटे के .08 गोली बनाकर मछलियों को खिलाने से लाभ होगा ,
७-बरगद के पेड की जड में गाय का कच्चा दूध चढाकर उस मिट्टी से तिलक करे तो शनि अपना अशुभ प्रभाव नहीं देगा ,
८- श्रद्धा भाव से काले घोडे की नाल या नाव की कील का छल्ला मध्यमा अंगुली में धारण करें या शनिवार सरसों के तेल की मालिश करें,
९- शनिवार को शनि ग्रह की वस्तुओं का दान करें, शनि ग्रह की वस्तुएं हैं –काला उड़द,चमड़े का जूता, नमक, सरसों तेल, तेल, नीलम, काले तिल, लोहे से बनी वस्तुएं, काला कपड़ा आदि।
१०-शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएँ।
११- गरीबों, वृद्धों एवं नौकरों के प्रति अपमान जनक व्यवहार नहीं करना चहिए.
१२-शनिवार को साबुत उडद किसी भिखारी को दान करें.या पक्षियों को ( कौए ) खाने के लिए डाले ,
१३-ताऊ एवं चाचा से झगड़ा करने एवं किसी भी मेहनतम करने वाले व्यक्ति को कष्ट देने, अपशब्द कहने से कुछ लोग मकान एवं दुकान किराये से लेने के बाद खाली नहीं करते अथवा उसके बदले पैसा माँगते हैं तो शनि अशुभ फल देने लगता है।
१४- बहते पानी में रोजाना नारियल बहाएँ। या किसी बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना क्षाया देखें और बर्तन तेल के साथ दान करे. क्योंकि शनि देव तेल के दान से अधिक प्रसन्ना होते है,

अपना कर्म ठीक रखे तभी भाग्य आप का साथ देगा और कर्म कैसे ठीक होगा इसके लिए आप मन्दिर में प्रतिदिन दर्शन के लिए जाएं.,माता-पिता और गुरु जानो का सम्मान करे ,अपने धर्मं का पालन करे,भाई बन्धुओं से अच्छे सम्बन्ध बनाकर रखें.,पितरो का श्राद्ध करें. या प्रत्येक अमावस को पितरो के निमित्त मंदिर में दान करे,गाय और कुत्ता पालें, यदि किसी कारणवश कुत्ता मर जाए तो दोबारा कुत्ता पालें. अगर घर में ना पाल सके तो बाहर ही उसकी सेवा करे,यदि सन्तान बाधा हो तो कुत्तों को रोटी खिलाने से घर में बड़ो के आशीर्वाद लेने से और उनकी सेवा करने से सन्तान सुख की प्राप्ति होगी .गौ ग्रास. रोज भोजन करते समय परोसी गयी थाली में से एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्ते को एवं एक हिस्सा कौए को खिलाएं आप के घर में हमेसा ख़ुशी ओए सम्रद्धि बनी रहेगी
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शनि देव का प्रचलित मंत—

नीलांजनं समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्। छायामार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम्॥
ऊँ शत्रोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोभिरत्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।, छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।

शनि देव की शांति हेतु उपाय :—

* मंत्र जाप : ” ॐ प्राम प्रीम प्रौम सः शनये नमः ” – जप संख्या ९२०००

* टोटका :—
  •  प्रत्येक शनिवार को स्नान करने से पहले पूरे शरीर में सरसों का तेल लगाकर ही स्नान किया करें एवं संभव हो तो शनिवार को ही संध्या में हनुमान जी का पूजा अर्चना कर प्रसाद वितरण कर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण कर लिया करें । 
  • १॰ शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाएँ।
  • २॰ शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए।
  • ३॰ शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए।
  • ४॰ भड्डरी को कड़वे तेल का दान करना चाहिए।
  • ५॰ भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए।
  • ६॰ किसी दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए।
  • ७॰ घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए।
  • ८.शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं।
  • यदि किसी की कुण्डली में शनि-मंगल-राहु की युति हो तो उसे भी ऊपरी बाधा, प्रेत पिशाच या भूत बाधा तंग करती है। उक्त योगों में दशा-अन्र्तदशा में भी ये ग्रह आते हों और गोचर में इन योगों की उपसिथति हो तो समझ लें कि जातक या जातिका इस कष्ट से अवश्य परेशान है।इस कष्ट से मुकित के लिए तानित्रक, ओझा, मौलवी या इस विषय के जानकार ही सहायता करते हैं।इतझयदि कुण्डली में इस प्रकार के योग हों तो इनसे बचने के लिए योगकारक ग्रहों के उपाय अथवा यहां एक प्रयोग बता रहे हैं उसे कर सकते हैं।यहां एक मन्त्र दे रहे हैं जिसे स्नान केरके हनुमान मनिदर में 108 बार प्रतिदिन जपें और 45 दिनों तक नित्य करें। किसी भी शुक्लपक्ष के मंगलवार से प्रारम्भ कर सकते हैं।यदि किसी कुण्डली में शनि, राहु, केतु या मंगल में से कर्इ भी ग्रहस सप्तम भाव में हो तो ऐसे लोग भी भूत-प्रेस बाधा या पिशाच या ऊपरी हवा आदि से परेशान रहते हैं।

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