केसे करें किराये के घर में वास्तुदोष का निदान/उपचार..????
यदि आप किराये के मकान में रहते हैं और वहां कोई वास्तु दोष है तो आप घर में बिना कोई तोड़ फोड़ किये उन दोषों को दूर करसकते हैं|
मकान किराये का हो, या स्वयं का, या फिर अन्य किसी के नाम पर रहे। यह बात वास्तु विषय के लिये अर्थहीन है। मकान के वास्तु-बल एवं वास्तु-दोष, अपने शुभ एवं अशुभ परिणाम उसे ही देंगे, जो उस मकान में रह रहे हैं। मकान मालिक अगर स्वयं का मकान छोड़कर, अन्यत्र कहीं रहने के लिये चला जाता है, तो वह उस मकान की वास्तु के परिणामों से निवर्त हो जाता है। और जो भी अन्य सज्जन, उस मकान में रहने लगेंगे, उन्हें ही उस मकान की वास्तु के अनुसार शुभ एवं अशुभ परिणाम पाप्त होंगे। आप जिस मकान में रह रहे हैं, सिर्प उस मकान की वास्तु का ही सीधा असर आपके, आचार-विचार-व्यवहार-व्यापार पर पड़ेगा। यही वास्तु का रहस्य है।
नौकरी अथवा व्यवसाय के सिलसिले में जब अपने घर से दूर किसी अन्य शहर में रहने जाते हैं तब बहुत से लोगों को किराये के घर में रहना होता है। किराये के घर में वास्तुदोष होने पर दोष मुक्ति के लिए अपनी मर्जी से तोड़-फोड़ नहीं करवा सकते। इस स्थिति अपने सामान को ही इस प्रकार रखें जिससे वास्तुदोष का प्रभाव घर में रहने वाले लोगों पर न हो। 
यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाये तो किराये के घर में भी वास्तु दोष से छुटकारा पाया जा सकता है|जैसे—

सिरहाना रखें दक्षिण—-
पलंग को इस प्रकार रखें कि सिरहाना दक्षिण दिशा में हो और पैर उत्तर दिशा में। अगर घर की बनावट इस तरह नहीं कि आप दक्षिण दिशा में सिरहाना रख सकें तो पश्चिम दिशा में सिरहाना रखें। इससे मानसिक तनाव से बचेंगे तथा स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। 

दक्षिण-पश्चिम में रखें भारी सामान—-
आपके पास जो भी भारी सामान हो उसे दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखें और उत्तर-पूर्वी भाग को खाली रखें अथवा हल्का सामान रखें। इस दिशा में आप भगवान की मूर्तियां रख सकते हैं। इसे पूजा स्थल भी बना सकते हैं। ऐसा करने से उत्साह और उर्जा का संचार होगा। आर्थिक स्थिति भी अच्छी रहेगी।
उत्तर-पूर्व से पानी—–
सप्लाई का पानी आता है तो नल उत्तर-पूर्व दिशा में लगवाएं। इसी दिशा में पानी का बर्तन भी रखना चाहिए। इससे अनावश्यक खर्च से बचेंगे।
  • निम्न चीजों/बातों का भी रखें विशेष ध्यान ( वास्तु दोष निवारण हेतु)—-
  • भवन का उत्तर-पूर्व का भाग अधिक खाली रखें|
  • दक्षिण-पश्चिम दिशा के भाग में अधिक भार या समान रखें|
  • पानी की सप्लाई उत्तर-पूर्व से लें|
  • शयनकक्ष में पलंग का सिरहाना दक्षिण दिशा में रखें और सोते समय सिर दक्षिण दिशा में वे पैर उत्तर दिशा में रखें|यदि ऐसा न हो तो पश्चिम दिशा में सिरहाना व सिर कर सकते हैं|
  • भोजन दक्षिण-पूर्व की और मुख करके ग्रहण करें|
  • पूजास्थल उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें यदि अन्यदिशा में हो तो पानी ग्रहण करते समय मुख ईशान(उत्तर-पूर्व)कोण की और रखें|
  • दक्षिण नैॠत्य द्वार – घर की स्त्री को हानि
  • उत्तर- ईशान का द्वार – पूर्ण सुख व उन्नति का आधार
  • —पश्चिम का द्वार – सुख व कुशलता का द्वार——-
  • पूर्व का द्वार -शुभता की मुख्य भेंट
  • —उत्तर में द्वार बनायो – सुख को भी मार्ग दिखाओ
  • —-पूर्व की ऊँची दीवार – स्वास्थ्य सदा रहे खराब
  • पश्चिम में टेडी दीवार – अनिष्ट की लगे कतार
  • ईशान कमरे का पूर्वद्वार – सुख सम्पति अपार
  • ईशान कमरे का उत्तर द्वार – बरसे धन बारम्बार अपार
  • पूर्व पश्चिम सीढ़ी हो – जग में राजा समान जियो
  • पूर्व को अलमारी होना – अपनी सारी सम्पति खोना.
  • दक्षिण में रखी अलमारी – दौलत आने की बारी
  • पश्चिम में हो जब आँगन – पूर्व में भी अवश्य हो आँगन
  • दक्षिण की ऊँची दीवार – घर में सुख रहे अपार
  • पश्चिम का नाला – सुख सम्पति हरने वाला
  • पूर्व का स्नानघर – सुख सम्पति भरे अपार
  • बच्चे जब उत्तर में सोयें -आशाओं के दीप जलाएं
  • दम्पति ईशान में सोयें -विकलांग बच्चा अवश्य पायें
  • उत्तर सर कर नहीं सोना -स्वास्थ्य नहीं है खोना
  • सेप्टिक टैंक दक्षिण में -जीवन हो संकट में
  • घर के ईशान में अलमारी -दरिद्र से भर लो घर भारी
  • दक्षिण का उच्च चबूतरा -दौलत से आये हजारों जेवर
  • पूर्व का उच्च चबूतरा -पुरुष हमेशा खाए फटकार
  • मुख्यद्वार पर माँ दुर्गा विराजे -घर को उपरी हवा सदा त्यागे
  • दम्पति ईशान में सोना – विकलांग संतान होना
  • उत्तर सर करके नही सोना – स्वास्थ्य नहीं है खोना .
  • पश्चिम में सेप्टिंक टैंक होना-घर में रोगों का होना
  • पश्चिम में तुलसी लगाओ -महिला का स्वास्थ्य बनाओ
  • बाथरूम में खुला नमक रखो -बीमारी को दूर भगाओ
  • सीडी मुड़े बाएँ से दायें -भाग्य भी चढ़े आसानी से
  • मुख्य द्वार के सामने हो कोई कोना -घर में सुख न होना
  • डुप्लेक्स मकान बनवाते समय इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि सीढियां आपके घर के ब्रह्म स्थान में न हों। इस मकान में परिवार के बुजुर्ग सदस्यों का कमरा ऊपरी तल पर दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित होना चाहिए।
  •  इसी तरह आप उनके कमरे के ठीक नीचे अपना कमरा बना सकते  हैं या फिर दक्षिण या पश्चिम दिशा में भी अपना बेडरूम बनवा सकते  हैं। 
  • इसी तरह आप अपनी बेटी के लिए पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में कमरा बनवाएं। इसी तरह बेटे के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित कमरा उपयुक्त होगा। 
  • गेस्टरूम बनाने के लिए या टीवी रखने के लिए दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित कमरे का चुनाव करना चाहिए।
  • यदि मकान की नालियां पूर्व दिशा में खुलती हैं, जो वास्तु की द्ष्टि से उचित नहीं है।
  • पूर्व दिशा में नालियों का होना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होता है। आपके घर में अगर किचन की नालियां पूर्व दिशा में खुलती हैं तो कोई बात नहीं लेकिन इस दिशा में बाथरूम की नालियां नहीं खुलनी चाहिए। 
  • अगर आपके घर में बाथरूम की नाली पूर्व दिशा में खुलती है तो प्रतिदिन बाथरूम की धुलाई करते समय पानी में थोडा समुद्री नमक मिला दें। इससे आपके घर का यह वास्तु दोष दूर हो जाएगा।

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