कुछ सामान्य एवं प्रभावी उपाय जिनसे होंगे शनिकृत रोग दूर —–


[लेखक—-ज्योतिषाचार्य वागा राम परिहार .900.74.766]


1- शनि मुद्रिका (शनिवार के दिन) शनि मंत्र का जाप करते हुये धारण करें। काले घोडे की नाल या नव की किल से बनी होनी चाहिए यह शनि मुद्रिका/अंगूठी…

—– काले घोडे की नाल प्राप्त कर घर के मुख्य दरवाजे के ऊपर लगायें।

2 -बीसा यंत्र मे नीलम जडकर धारण करें। शनि यंत्र को शनिवार के दिन, शनि की होरा में अष्टगंध में भोजपत्र पर बनाकर उडद के आटे से दीपक बनाकर उसमें तेल डालकर दीप प्रज्जवलित करें। फिर शनि मंत्र का जाप करते हुये यंत्र पर खेजडी के फुल पत्र अर्पित करें। तत्पश्चात इसे धारण करने से राहत मिलती हैं।

.- उडद के आटे की रोटी बनाकर उस पर तेल लगायें। फिर कुछ उडद के दाने उस पर रखें। अब रोगी के उपर से सात बार उसारकर शमशान में उसे रख आयें। घर से निकालते समय व वापिस घर आते समय पीछे कदापि नही देखें एवं न ही इस अवधि में किसी से बात करें। ऐसा प्रयोग 21 दिन करने से राहत मिलती है। पूरी 

 राहत/आराम  न मिलने की स्थिति में इसे बढाकर 43 या 73 दिन तक बिना नागा करें। केवल पुरूष ही प्रयोग करें एवं समय एक ही रखें।


4- मिट्टी के नये छोटे घडे में पानी भरकर रोगी पर से सात बार उसार कर उस जल से 23 दिन खेजडी (खेजड़ी अधिकतर रेगिस्तान में मिलने वाला पेड़ हैं जो कांटेदार होता हैं )को सींचें। 

इस अवधि में रोगी के सिर से नख तक की नाप का काला धागा भी प्रतिदिन खेजडी पर लपेटते रहें। इससे भी जातक को चमत्कारिक ढंग से राहत मिलती हैं।

5-सात शनिवार को बीसों नाखूनों को काटकर घर पर ही इकट्ठे कर लें। फिर एक नारियल, कच्चे कोयले, काले तिल व उडद काले कपडे में बांधकर शरीर से उसारकर किसी बहते पवित्र जल में रोगी के कपडों के साथ प्रवाहित करें। यदि रोगी स्वंय करे तो स्नान कर कपडे वहीं छोड दें एवं नये कपडे पहन कर घर पर आ जाये। राहत अवश्य मिलेगी।

6-किसी बर्तन में तेल को गर्म करके उसमें गुड डालकर गुलगुले उठने के बाद उतार कर उसमें रोगी अपना मुंह देखकर किसी भिखारी को दे या उडद की बनी रोटी पर इसे रखकर भैंसे को खिला दे। शनिकृत रोग का सरलतम उपाय हैं।

7-शनि के तीव्रतम प्रकोप होने पर शनि मंत्र का जाप करना, सातमुखी रूद्राक्ष की अभिमंत्रित माला धारण करना एवं नित्य प्रति भोजन में से कौओं, कुत्ते व काली गाय को खिलाते रहना, यह सभी उपाय शनि कोप को कम करते हैं। 


इन उपायों को किसी विद्वान की देख-रेख या मार्गदर्शन में करने से वांछित लाभ मिल सकता है। शमशान पर जाते समय भय नहीं रखें। तंत्रोक्त धागा पहन कर भी जानने से दुष्ट प्रवृतियां कुछ नही कर पाती हैं।

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