संतानहीनता का अभिशाप,हो सकता हैं पूर्वजों का श्राप —- 

पण्डित “विशाल” दयानन्द शास्त्री–.9669.90067….।।

हमारे आधुनिक व पारंपरिक वेदिक ज्योतिष के शास्त्रों में ऐसा बताया गया है की जैसे कोई वैध अपने रोगी के लक्षणों को देख कर रोग का पता करता है, ठीक उसी प्रकार पितृ दोष से पीड़ित जातक की कुंडली का अध्ययन कर ग्रह उपचार के द्वारा पितृदोष का निवारण किया जा सकता है ।
पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार मनुष्य के जीवन में 70% समस्याएं केवल ज्योतिषीय या आध्यात्मिक कारणों से होती हैं और अन्य .0% समस्याएं मानसिक या शारीरिक कारणों से होती हैं । मृत पूर्वजों की अतृप्ति के कारण वंशजों को कष्ट होने को पितृदोष कहा गया है ।
पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार संपूर्ण मानवजाति को किसी न किसी प्रकार से प्रभावित करने वाले अनेक आध्यात्मिक कारणों में यह एक सामान्य कारण है । पितृदोष के कारण सांसारिक जीवन में बाधाएं उत्पन्न होती हैं । कुछ प्रसंगों में ऐसा दिखाई देता है मानो संपूर्ण परिवार पर कोई काली छाया है ।
इस पर अनेक प्रकार के उपाय करने पर भी परिवार के सभी सदस्यों को विविध प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड रहा है । दैनिक जीवन में पितृदोष के विविध लक्षण दिखाई देते हैं ।
पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार बृहत पाराशर होरा शास्त्र कहता है “अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम” अर्थात मनुष्य को अपने किए गए शुभ-अशुभ कर्मों के फलों को अवश्य ही भोगना पड़ता है। शुभ-अशुभ कर्म मनुष्य का जन्म जन्मांतर तक पीछा नहीं छोड़ते ।
यही तथ्य महर्षि पाराशर ने पूर्वशापफलाध्याय में स्पष्ट किया है । इस अध्याय में महर्षि पाराशर ने संतानहीनता का कारण व उसकी निवृत्ति का उपाय बताया हैं ।
महर्षि पाराशर बताते हैं “एक समय में देवी पार्वती ने भगवान शंकर से पूछा- हे नाथ! किस पाप या किस योग में संतान हानि होती है? भगवान शंकर ने कहा – हे देवि! संतान हानि योग: गुरु, लग्नेश, सप्तमेश, पंचमेश ये सारे ही बलहीन हों तो संतान नहीं होती है । जब सूर्य, मंगल, राहु व शनि यदि बलवान होकर पंचम भाव में गए हों तो संतान हानि करते हैं। यदि ये ग्रह निर्बल होकर पंचमस्थ हों तो संतानदायक होते हैं ।महर्षि पाराशर बताते हैं की महादेव अब महादेकि को पितृशाप से संतान हीनता का कारण बताते हैं ।
महादेव बोले – हे देवि! जब पंचम भाव में सूर्य तुला राशि में मकर या कुंभ नवांश में हो व पंचम भाव के दोनों ओर पाप ग्रह हों । पंचम में सिंह राशि हो, पांचवें या नौवें भाव में सूर्य व पाप ग्रह हों व सूर्य पाप दृष्ट या पाप मध्य में हो । जब सिंह राशि में गुरु हो व पंचमेश व सूर्य साथ हों । पहले व पांचवें भाव में पाप ग्रह हों । लग्नेश दुर्बल होकर पंचम में हो, पंचमेश सूर्ययुत हो व पहले व पांचवें भाव पापयुत हों । जब दशमेश होकर मंगल पंचमेश से युक्त हो व पहले, पांचवें व .0 वें भाव में पाप ग्रह हों ।
जब दशमेश छठे, आठवें या 12 वें में हो व संतानकारक गुरु पाप ग्रह की राशि में हो व पहला व पांचवां भावेश पापयुक्त हों । भगवान शंकर पितृदोष के बारे में देवी पार्वती को आगे बताते हैं – महादेव बोले हे देवी! “जब दशमेश पंचम में या पंचमेश दशम में हो व पहला व पांचवां भाव पापयुक्त हों ।
पहले या पांचवें भाव में किसी भी प्रकार से सूर्य, मंगल व शनि स्थित हों व आठवें या 12 वें में राहु या गुरु हो । अष्टम भाव में सूर्य, पंचम में शनि व पंचमेश राहु के साथ पहले या पांचवें व लग्न में पाप ग्रह हों ।
जब द्वादशेश लग्न में, अष्टमेश पंचम में व दशमेश अष्टम में हो । षष्ठेश पंचम में हो, दशमेश षष्ठ में हो व गुरु व राहु साथ हों । इस योगों में पितृशाप से संतानहीनता होती है ।
पितृशाप निवारण हेतु उज्जैन ( मध्यप्रदेश) स्थित सिद्धवट घाट पर या रामघाट पर अथवा उज्जैन के खाक चोक स्थित गया कोठी मंदिर (तीर्थ) पर श्रुद्धापूर्वक श्राद्ध कर 111 ब्राह्मणों का सत्कार कर भोजन कराएं । उन्हें भोजन उपरांत वस्त्र और दक्षिणा देनी चाहिए।।।इस उपाय को करने से वंश वृद्धि होती है ।
पण्डित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार वेदिक और आधुनिक ज्योतिष विज्ञानं में पितृदोष से मुक्ति के उपाय निम्न हैं—-
1. —सोमवती अमावस्या पर नंगे पैर शिवालय जाकर आक के 21 पुष्प, कच्ची लस्सी, बिल्वपत्र के साथ शिव पूजन करें ।
2. —दक्षिण दिशा की दीवार पर पितृदोष निवारण यंत्र लगाकर उसका हर अमावस्या पर विधिवत पूजन करें ।
3. —गीता के एकादश अध्याय का 1008 बार पाठ कर क्रमानुसार होम, तर्पण व मार्जन करवाए ।
4. —हर अमावस्या पीपल के वृक्ष पर जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं ।
5. —रविवार के दिन गायत्री पीठ में पितृ गायत्री मंत्र का अनुष्ठान कराएं।।
6.– यथासंभव श्रीमत् भगवत गीत का मूल पाठ करवाएं।।
7.—अपने पितरों की मुक्ति और शांति के लिए सिद्धवट (उज्जैन-मध्यप्रदेश) पर नागबलि, नारायण बाली और त्रिपिंडी श्राद्ध अवश्य करवाएं।।

शुभम भवतु।। कल्याण हो।। 


पण्डित “विशाल” दयानन्द शास्त्री–09669290067….।।।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here