इस भौमवती अमावस्या (.9  नवम्बर,2..6  को) पर क्या करें…


प्रिय पाठकों, इस मंगलवार (29  नवम्बर,2016  को) को अमावस्या है, जिसका ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व माना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार मंगलवार को आने वाली अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहा जाता है. भौमवती अमावस्या के समय पितृ तर्पण कार्यों को करने का विधान माना जाता है. अमावस्या को पितरों के निमित पिंडदान और तर्पण किया जाता है मान्यता है कि भौमवती अमावस्या के दिन पितरों के निमित पिंडदान और तर्पण करने से पितर देवताओं का आशीष मिलता है |यह दिन मंत्र-तंत्र साधना के लिए अति उत्तम दिन माना जाता है।हमारे शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है। इसलिए इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, दान-पुण्य का महत्व है, जब अमावस्या के मंगलवार, अनुराधा या विशाखा अथवा स्वाति नक्षत्र का योग बनता हो । ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार इस दिन उज्जैन स्थित भगवान् मंगल/अंगारक के उत्पत्ति स्थल “अंगारेश्वर महादेव मंदिर” पर मंगल दोष,कर्ज मुक्ति,संतान दोष बाधा,विवाह संबंधी परेशानियों, रक्त संबंधी बीमारियों और भूमि-भवन के सुख में कमियों के साथ साथ अंगारक योग एवम कोर्ट कचहरी के मामले आदि से निवारण हेतु विशेष अनुष्ठान,पूजा पाठ किये जाते हैं |


इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए गाय के गोबर से बने उपले (कंडे) पर शुद्ध घी व गुड़ मिलाकर धूप (सुलगते हुए कंडे पर रखना) देनी चाहिए। यदि घी व गुड़ उपलब्ध न हो तो खीर से भी धूप दे सकते हैं।
यदि यह भी संभव न हो तो घर में जो भी ताजा भोजन बना हो, उससे भी धूप देने से पितर प्रसन्न हो जाते हैं। धूप देने के बाद हथेली में पानी लें व अंगूठे के माध्यम से उसे धरती पर छोड़ दें। ऐसा करने से पितरों को तृप्ति का अनुभव होता है और वे हमें आशीर्वाद देते हैं। जिससे हमारे जीवन में सुख-शांति आती है।


इस इस मंगलवार (29  नवम्बर,2016  को) भौमवती अमावस्या पर मंगलवार, अनुराधा नक्षत्र और वृश्चिक राशि का चन्द्रमा होने से विशेष दुर्लभ योग बन रहा है ।


पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति कमजोर है या वे व्यक्ति जो भूमि के व्यवसाय से जुड़े हुए है और उनके कारोबार मंदी के दौर से गुजर रहे है और मानसिक तनाव से ग्रसित है उनको इस दिन का लाभ उठाना चाहिए। उनको इस दिन जरूरतमंद व्यक्तियों को रक्तदान करना चाहिए और वेद पाठशालाओं में ब्रह्मचारियों को लाल रग के वस्त्र इत्यादि का दान करना चाहिए।ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार इस दिन उज्जैन स्थित भगवान् मंगल/अंगारक के उत्पत्ति स्थल “अंगारेश्वर महादेव मंदिर” पर मंगल दोष,कर्ज मुक्ति,संतान दोष बाधा,कोर्ट कचहरी के मामले आदि से निवारण हेतु विशेष अनुष्ठान,पूजा पाठ किये जाते हैं |


इस दिन माँ भगवती की पूजा का करके उन्हें प्रसन्न करके सुख सम्पदा ऐश्वर्य की प्राप्ति की जा सकती है इसका उल्लेख दुर्गा अष्टोत्तर शतनाम स्त्रोत के श्लोक संख्या 18,19,20 में किया गया है ।


यथा श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् – 


भौमावास्यानिशामग्रे चन्द्रे शतभिषां गते। 
विलिख्य प्रपठेत् स्तोत्रं स भवेत् सम्पदां पदम् ॥21॥

अर्थात –  भौमवती अमावस्या की रात्रि में, जब चंद्रमा शतभिषा नक्षत्र में हों, उस समय इस स्तोत्र को लिखकर जो व्यक्ति इसका पाठ करता है, वह संपत्तिशाली होता है ॥21॥  


इस स्त्रोत में 15 श्लोकों के माध्यम से मां दुर्गा के 108 मंगलकारी नामों का वर्णन किया गया है तथा अन्य 6 श्लोकों में इन नामों के महत्व को प्रकट किया गया है।अंतिम श्लोक में इस विशेष संयोग के अंतर्गत इस स्त्रोत के लेखन और पठन के विशेष महत्व को बताया गया है, जिसे करने से मनुष्य सुख-समृद्धिवान और संपत्ति‍वान होकर मां दुर्गा की विशेष कृपा को प्राप्त करता है। 


भौमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान करने का विशेष महत्व कहा गया है| भौमवती अमावस्या के दिन दान करने का सर्वश्रेष्ठ फल कहा गया है. देव ऋषि व्यास के अनुसार इस तिथि में स्नान-ध्यान करने से सहस्त्र गौ दान के समान पुन्य फल प्राप्त होता है. इस के अतिरिक्त इस दिन पीपल की परिक्रमा कर, पीपल के पेड और श्री विष्णु का पूजन करने का नियम है|  दान-दक्षिणा देना शुभ होता है |


पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार इस दिन उज्जैन की शिप्रा नदी के किनारे स्थित सिद्धवट घाट पर  में डूबकी लगाने का भी बहुत अधिक पुण्य माना गया है. इस स्थान पर भौमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है.  सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक की अवधि में पवित्र शिप्रा नदि में  स्नान करने वालों का तांता सा लगा रहेगा. स्नान के साथ पवित्र श्लोकों की गुंज चारों ओर सुनाई देती है. यह सब कार्य करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है| अमावस्या काल में उज्जैन के 48 कोस के किसी भी तीर्थ में स्नान करने से हजारों गायो के दान का फल मिल जाता है। इस दिन अपने पूर्वजों के निमित्त पीपल का पेड़ लगाने से, श्राद्ध तर्पण, दान, पूजा-पाठ करने से मनोवाछित फल की प्राप्ति होती है। अमावस्या एक ऐसी तिथि है, जिसकी रात्रि में संपूर्ण अंधकार होता है। अन्य रात्रियों में चंद्रमा के दर्शन प्राय: हो जाते है परतु अमावस्या में चंद्रमा के दर्शन नहीं होते है।  


ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार अमावस्या कृष्ण पक्ष की सबसे अंतिम रात्रि होती है, जिसके बाद शुक्ल पक्ष प्रारभ हो जाता है। इस दिन पीपल के वृक्ष के मूल में विष्णु भगवान का पूजन करने का विधान दिया गया है। इस दिन गोशालाओं में कम से कम अपने वजन के बराबर गायों को हरी घास खिलाने का भी महत्व माना जाता है। अमावस्या को स्त्रिया सुहाग की रक्षा और आयु वृद्धि के लिए पीपल की पूजा करती है। पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार पीपल के वृक्ष को स्पर्श करने मात्र से पापों का क्षय हो जाता है और परिक्रमा करने से आयु बढ़ती है। संतान, पुत्ररत्न तथा लक्ष्मी की प्राप्ति होती है और जातक मानसिक तनाव से मुक्त हो जाता है । इस दिन लाल रग के बछड़े व लाल गाय को गुड़ खिलाने का भी विशेष महत्व माना जाता है। इससे शत्रुओं का दमन और मुकद्दमे में विजय प्राप्त सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते है।ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार इस दिन उज्जैन स्थित भगवान् मंगल/अंगारक के उत्पत्ति स्थल “अंगारेश्वर महादेव मंदिर” पर मंगल दोष,कर्ज मुक्ति,संतान दोष बाधा,कोर्ट कचहरी के मामले आदि से निवारण हेतु विशेष अनुष्ठान,पूजा पाठ किये जाते हैं |


भोमवारी अमावस्या पर भूखे प्राणियों को भोजन कराने का भी विशेष महत्व है। इस दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं। गोलियां बनाते समय भगवान का नाम लेते रहें। इसके बाद समीप स्थित किसी तालाब या नदी में जाकर यह आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें। इस उपाय से आपके जीवन की परेशानियों का अंत हो सकता है। 
अमावस्या पर चीटियों को शक्कर मिला हुआ आटा खिलाएं। ऐसा करने से आपके पाप कर्मों का प्रायश्चित होगा और अच्छे कामों के फल मिलना शुरू होंगे। इसी से आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति होगी।
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इस भौमवती अमावस्या पर करे ये कालसर्प दोष निवारण के उपाय—-


1. अमावस्या पर सुबह स्नान आदि करने के बाद चांदी से निर्मित नाग-नागिन की पूजा करें और सफेद पुष्प के साथ इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। कालसर्प दोष से राहत पाने का ये अचूक उपाय है।
2. कालसर्प दोष निवारण के लिए अमावस्या पर लघु रुद्र का पाठ स्वयं करें या किसी योग्य पंडित से करवाएं। ये पाठ विधि-विधान पूर्वक होना चाहिए।
..इस भौमवती अमावस्या पर गरीबों को अपनी शक्ति के अनुसार दान करें व नवनाग स्तोत्र का पाठ करें।
4. अमावस्या पर सुबह नहाने के बाद समीप स्थित शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग पर तांबे का नाग चढ़ाएं। इसके बाद वहां बैठकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें और शिवजी से कालसर्प दोष मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।
5. अमावस्या पर सफेद फूल, बताशे, कच्चा दूध, सफेद कपड़ा, चावल व सफेद मिठाई बहते हुए जल में प्रवाहित करें और कालसर्प दोष की शांति के लिए शेषनाग से प्रार्थना करें।
6. अमावस्या पर शाम को पीपल के वृक्ष की पूजा करें तथा पीपल के नीचे दीपक जलाएं।
7. अमावस्या पर कालसर्प यंत्र की स्थापना करें, इसकी विधि इस प्रकार है-आज सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर भगवान शंकर का ध्यान करें और फिर कालसर्प दोष यंत्र का भी पूजन करें। सबसे पहले दूध से कालसर्प दोष यंत्र को स्नान करवाएं, इसके बाद गंगाजल से स्नान करवाएं। तत्पश्चात गंध, सफेद पुष्प, धूप, दीप से पूजन करें। इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का रुद्राक्ष की माला से जाप करें। कम से कम एक माला जाप अवश्य करें।


मंत्र- अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपाल धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।


इस प्रकार प्रतिदिन कालसर्प यंत्र की पूजा करने तथा मंत्र का जाप करने से शीघ्र ही कालसर्प दोष का प्रभाव होने लगता है और शुभ परिणाम मिलने लगते हैं।


—ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार इस दिन उज्जैन स्थित भगवान् मंगल/अंगारक के उत्पत्ति स्थल “अंगारेश्वर महादेव मंदिर” पर मंगल दोष,कर्ज मुक्ति,संतान दोष बाधा,विवाह संबंधी परेशानियों, रक्त संबंधी बीमारियों और भूमि-भवन के सुख में कमियों के साथ साथ अंगारक योग एवम कोर्ट कचहरी के मामले आदि से निवारण हेतु विशेष अनुष्ठान,पूजा पाठ किये जाते हैं |
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जानिए भौमवती अमावस्या का महत्व-


पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार अमावस्या तिथि प्रत्येक चन्द्र मास मे आती है. चन्द्रमा के दो पक्ष होते है, जिसमें एक कृ्ष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष होता हे. कृ्ष्ण पक्ष समाप्त होने पर अमावस्या व शुक्ल पक्ष की समाप्ति पर पूर्णिमा आती है. यह पर्व तिथि है. इस दिन व्रत, स्नान, दान, जप, होम और पितरों के लिए भोजन, वस्त्र आदि देना उतम रहता है. ज्येष्ठ मास की अमावस्या का महत्व अन्य माह में आने वाली अमावस्याओं की तुलना में अधिक होता है. शास्त्रों के हिसाब से ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन प्रात:काल में स्नान करके संकल्प करें और पूजा करनी चाहिए.


पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार भौमवती अमावस्या तिथि के दिन विशेष रुप से पितरों के लिये किए जाने वाले कार्य किये जाते है. इस दिन पितरों के लिये व्रत और अन्य कार्य करने से पितरों की आत्मा को शान्ति प्राप्त होती है. शास्त्रों में में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है. इसलिए इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, दान-पुण्य का महत्व है. जब अमावस्या के दिन सोम, मंगलवार और गुरुवार के साथ जब अनुराधा, विशाखा और स्वाति नक्षत्र का योग बनता है, तो यह बहुत पवित्र योग माना गया है. इसी तरह शनिवार, और चतुर्दशी का योग भी विशेष फल देने वाला माना जाता है |


—-अमावस्या की रात को करीब 10 बजे नहाकर साफ पीले रंग के कपड़े पहन लें। इसके उत्तर दिशा की ओर मुख करके ऊन या कुश के आसन पर बैठ जाएं। अब अपने सामने पटिए (बाजोट या चौकी) पर एक थाली में केसर का स्वस्तिक या ऊं बनाकर उस पर महालक्ष्मी यंत्र स्थापित करें। इसके बाद उसके सामने एक दिव्य शंख थाली में स्थापित करें।
अब थोड़े से चावल को केसर में रंगकर दिव्य शंख में डालें। घी का दीपक जलाकर नीचे लिखे मंत्र का कमल गट्टे की माला से ग्यारह माला जाप करें-


मंत्र- 
सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनी।
मंत्र पुते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते।।


मंत्र जाप के बाद इस पूरी पूजन सामग्री को किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें। इस प्रयोग से आपको धन लाभ होने की संभावना बन सकती है।
—अमावस्या को शाम के समय घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें। साथ ही दीएं में थोड़ी सी केसर भी डाल दें। यह मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का उपाय है।
—अमावस्या व मंगलवार के शुभ योग में किसी भी हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। संभव हो तो हनुमानजी को चमेली के तेल से चोला भी चढ़ा सकते हैं। ये उपाय करने से साधक की समस्त मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
 —ऎसे योग होने पर अमावस्या के दिन तीर्थस्नान, जप, तप और व्रत के पुण्य से ऋण या कर्ज और पापों से मिली पीड़ाओं से छुटकारा मिलता है. इसलिए यह संयम, साधना और तप के लिए श्रेष्ठ दिन माना जाता है. पुराणों में अमावस्या को कुछ विशेष व्रतों के विधान है जिससे तन, मन और धन के कष्टों से मुक्ति मिलती है|
-ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार इस दिन उज्जैन स्थित भगवान् मंगल/अंगारक के उत्पत्ति स्थल “अंगारेश्वर महादेव मंदिर” पर मंगल दोष,कर्ज मुक्ति,संतान दोष बाधा,विवाह संबंधी परेशानियों, रक्त संबंधी बीमारियों और भूमि-भवन के सुख में कमियों के साथ साथ अंगारक योग एवम कोर्ट कचहरी के मामले आदि से निवारण हेतु विशेष अनुष्ठान,पूजा पाठ किये जाते हैं |


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