जानिए शनिदेव के राशि(गोचर) परिवर्तन का आपकी राशि पर असर /प्रभाव —


प्रिय पाठकों/मित्रों, शनिदेव आगामी  .6 जनवरी 2..7 को सायं 21:.4 बजे वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश कर जायेगा। शनि की यह स्थिति साढ़े साती में परिवर्तन कर देगी। शनि के धनु में प्रवेश करते ही तुला राशि के जातकों को साढ़े साती से पूरी तरह से मुक्ति मिल जाएगी। इस के अलावा वृश्चिक राशि वालों का अंतिम दौर प्रारंभ हो जायेगा तथा धनु राशि वालों के लिए इसका मध्य भाग प्रारम्भ हो जायेगा और मकर राशि के जातकों के लिए शनि साढ़े साती प्रारम्भ हो जाएगी। इसके अलावा शनि की ढैय्या मेष और सिंह राशि से पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी तथा वृषभ और कन्या राशि वालों के लिए शनि की ढैय्या प्रारंभ हो जाएगी। 


पाटन वाले पंडित दयानंद शास्त्री (मोबाईल–09669290067) के अनुसार  शनि साढ़े साती या शनि की ढैय्या की गणना चंद्र राशि के अनुसार अर्थात जन्म के समय जिस राशि में चंद्रमा होता है उस से वर्तमान में अर्थात गोचर में शनि की स्थिति के अनुसार होती है अर्थात जन्म कालिक चंद्र राशि से गोचर भ्रमण के दौरान शनि जब द्वादश भाव में आता है तो साढ़े साती का प्रारंभ हो जाता है और चंद्र राशि तथा चन्द्र राशि से दूसरे भाव में जब तक रहता है तब साढ़े साती बनी रहती है और जब तीसरी राशि में प्रवेश करता है तो साढ़े साती समाप्त हो जाती है। 


इसी प्रकार जब गोचर का शनि चंद्र राशि से चौथी तथा आठवी राशि में आता है तब शनि की ढैय्या प्रारंभ होती है। इस हिसाब से अब वृषभ राशि वालों के लिए शनि की ढैय्या प्राम्भ हो जाएगी। शनि अपने ढाई वर्ष के धनु राशि में गोचर के दौरान मूल नक्षत्र , पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से होकर गुजरेगा। इस शनि की तीसरी दृष्टि आपके दशम भाव पर यानि कुम्भ राशि पर होगी, सप्तम दृष्टि दूसरे भाव मिथुन राशि पर होगी और दशम दृष्टि पंचम भाव कन्या राशि पर होगी। इन पूरे ढाई वर्षों में शनि का प्रभाव एक जैसा नहीं रहेगा क्योंकि यह विभिन्न नक्षत्रों से होकर गुजरेगा। 


पाटन वाले पंडित दयानंद शास्त्री (मोबाईल–09669290067) के अनुसार  जब यह केतु के नक्षत्र से होकर गुजरेगा अर्थात प्रथम दौर जो लगभग 13 महीनों का होगा तो जहाँ एक ओर यह अचानक और अधिक मात्रा में धन लाभ की स्थिति बनाएगा, कार्य-व्यापार में भी आप को निरंतर और निर्बाध प्रगति मिलेगी। आकस्मिक यात्रायें करनी पड़ सकती है वहीँ दूसरी ओर अचानक धटना-दुर्घटना का प्रबल योग भी बनाएगा। दवा और विवाद में धन खर्च होगा। व्यर्थ की मानसिक चिंतायें बढ़ेगी और दिन रात मानसिक अशांति का सामना करना पड़ेगा। जब यह शनि वृषभ राशि में ही पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में आएगा तो अगले लगभग 13 महीनों तक बहुत अधिक परेशान करने वाली स्थिति उत्पन्न करेगा। इस दौरान व्यर्थ का भ्रमण होगा, अनैतिक कार्यों में रूचि बढ़ेगी। हर दिन किसी ना किसी समस्या से जूझना पड़ेगा। खूब यात्रायें सम्भव हैं परन्तु अधिकांशतः निष्कर्ष हीन ही हो सकती हैं। इस समय आप के कार्य में परिवर्तन लगभग निश्चित है। 


एक बात अच्छी रहेगी इस दौरान कि आपके बाहरी सम्बन्ध खूब बनेगे और इच्छा शक्ति तथा मानसिक स्थिति में दृढ़ता रहेगी। जब यह शनि उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आएगा तो अंतिम लगभग 4 महीने में शैक्षिक तथा संतान से सम्बंधित सुख या लाभ प्रदान करेगा। जो लोग इस दौरान संतति की इच्छा रखते हैं उनकी इच्छा पूरित होगी। यह शनि आपके किसी कार्य के कारण बहुत प्रसिद्धि भी देगा परन्तु इस दौरान यदि कोई मामला न्यायालय में है तो आपको दंड संभावित है। विवादों से बड़ी हानि हो सकती है अतः विवाद से दूर रहें। पारिवारिक तनाव भी बहुत अधिक हो सकता है और कुछ लोगों को परिवार से दूर जाना पड़ सकता है। फिर भी बाकी दोनों नक्षत्रों की अपेक्षा इस समय लाभ अधिक होगा। 


पाटन वाले पंडित दयानंद शास्त्री (मोबाईल–09669290067) के अनुसार  कन्या राशि वालों के लिए चतुर्थ भाव में शनि के आने से ढैय्या प्रारंभ होगी। शनि यहाँ से तीसरी दृष्टि आप के छठे भाव में स्वराशि कुम्भ पर, सातवीं दृष्टि दशम भाव में मिथुन राशि पर और दसम दृष्टि आपके लग्न पर डालेगा। पूर्व की भांति तीनों नक्षत्रों अर्थात मूल, पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में यह अपने ढाई वर्ष के गोचर के दौरान भ्रमण करेगा। शनि के इस भ्रमण का नक्षत्र गत परिणाम आपके उपर इस प्रकार से होगा कि मूल नक्षत्र गत शनि के गोचर से लगभग 13 महीनों तक हर प्रकार के सुखों में भारी कमी का अनुभव होगा। 


जमीन, मकान, वाहन, आदि भौतिक सुख तथा पारिवारिक सुख अर्थात हर प्रकार से मानसिक कष्ट ही मिलेगा और यदि किसी भी प्रकार की संपत्ति में निवेश करते हैं तो हानि ही होगी। माता को और माता से कष्ट की अनुभूति होगी या वैचारिक मतभेद बनेगा। पिता से भी बहुत अच्छे सम्बन्ध नहीं होंगे इस दौरान। इस समय संतान के ऊपर बहुत व्यय होगा। कार्य-व्यापार में रोज-रोज किसी ना किसी समस्या से जूझना पड़ेगा। 


पाटन वाले पंडित दयानंद शास्त्री (मोबाईल–09669290067) के अनुसार  पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में भ्रमण के दौरान शनि के कारण आप को अपने परिश्रम का लाभ नहीं मिलेगा। धन हानि भी संभव है। किसी भी कार्य में सफल होने के लिए बहुत अधिक प्रयास करना पड़ेगा और कार्यों के होने की या परिणामों की गति बहुत धीमी होगी जिस से मन अशांत होगा। शत्रु तो परस्त होंगे परन्तु लगातार बनते भी रहेंगे। कोर्ट-कचहरी के मामलों में संभल कर चलें। इस समय सार्वजानिक या राजनीतक क्षेत्र में कार्य करने वालों को बाहरी मामलों में सफलता मिलेगी परन्तु सिर्फ उन्हें ही जो वास्तव में कार्य कर रहे होंगे अन्यथा यह शनि अपमान की स्थिति भी उत्पन्न करेगा। 


उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में भ्रमण के दौरान जो लगभग 4 महीनों की होगी और अंतिम होगी आपको यश-कीर्ति खूब मिलेगी। उच्च पद, मान-प्रतिष्ठा सब प्राप्त होगा। राजनैतिक और सामजिक क्षेत्र में कार्य करने वालों को खूब सम्मान मिलेगा परन्तु रोग और शत्रु फिर भी पीछा नहीं छोड़ेंगे। ह्रदय रोगी और पेट के रोगियों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ेगा। यदि आपकी आयु 38 वर्ष से कम है तो आपको अधिक कष्ट होगा।



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पाटन वाले पंडित दयानंद शास्त्री (मोबाईल–09669290067) के अनुसार जानिए शनिदेव का आपकी राशि परिवर्तन का असर —


मेष—
पाटन वाले पंडित दयानंद शास्त्री (मोबाईल–09669290067) के अनुसार  मेष राशि का स्वामी मंगल शनि का मित्र ग्रह है। पिछले ढ़ाई वर्षों से मेष जातकों पर शनि की ढैय्या चल रही थी। इसी कारण हो सकता है इन्हें पिछले समय में अपने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव भी देखने को मिले हों। नव वर्ष में आपकी शनि की ढ़ैय्या समाप्त हो रही है। अपने शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य, धन, ऋण आदि से संबंधित जो समस्याएं लंबे समय से आपको चिंतित कर रही हैं उनसे निजात मिलने की प्रबल संभावना है। अचानक से लाभ प्राप्ति के संयोग भी आपके लिये बन सकते हैं। अत: आपके लिये शनि का राशि परिवर्तन काफी सकारात्मक कहा जा सकता है।


वृषभ–
वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है जो कि शनि का मित्र ग्रह है। 2017 में वृषभ जातकों पर शनि की ढ़ैय्या शुरु होगी जो कि शारीरिक-मानसिक, धन व ऋण संबंधी दुष्चिंताओं को बढ़ाने वाली मानी जाती है। आपके बने बनाये कार्यों में भी अचानक बाधाएं आ सकती हैं। हो सकता है अत्यधिक कार्यदबाव या कार्यस्थल पर बढ़ती हुई जिम्मेदारियां आपको कार्य छोड़ने के लिये मजबूर करें। आपके लिये सलाह है कि अपने संयम को बनाये रखें व धैर्य और ईमानदारी के साथ कार्य करते हुए परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करें। हर शनिवार शनिदेव का पूजन कर आप हालातों को सामान्य बना सकते हैं।


मिथुन—
पाटन वाले पंडित दयानंद शास्त्री (मोबाईल–09669290067) के अनुसार  मिथुन राशि का स्वामी बुध है जो कि शनि का सम माना जाता है, आपकी राशि से शनि का परिवर्तन सातवां होगा। शनि की दृष्टि रहने के कारण आपको अनपे से बड़े व्यक्ति के क्रोध का शिकार होना पड़ सकता है। कार्यक्षेत्र स्थिरता आ सकती है। शारीरिक रूप से भी अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। संयम और विवेक से ही आप अपनी परेशानियों व परिस्थितियों पर काबू पा सकते हैं। आवेश में आकर जल्दबाजी में कोई भी निर्णय न लें किसी भी प्रकार का जोख़िम उठाने से पहले अच्छे से विचार विमर्श करें। शनिदेव की पूजा करें राहत मिल सकती है।


कर्क—
कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है जोकि शत्रु ग्रह है। आपकी राशि से शनि का परिवर्तन छठे घर में होगा जो कि शत्रु और रोग का घर माना जाता है। लंबे समय से चले आ रहे रोग, शत्रु, व बाधाएं दूर होने के आसार हैं। शनि की दृष्टि में न आने के कारण आपके लिये शनि का परिवर्तन सुख-समृद्धि व उन्नति देने वाला रहने की संभावना है।


सिंह–
पाटन वाले पंडित दयानंद शास्त्री (मोबाईल–09669290067) के अनुसार  सिंह राशि का स्वामी सूर्य है जो कि शनि का शत्रु ग्रह है। पिछले ढ़ाई सालों से आपकी राशि पर शनि की ढ़ैय्या चल रही थी जिसके कारण हो सकता है आपका समय कठिनाइयों भरा रहा हो। लेकिन शनि के परिवर्तन के साथ ही शनि की ढ़ैय्या से भी आपको मुक्ति मिलेगी जिसके कारण शनि का परिवर्तन आपके लिये लाभप्रद कहा जा सकता है। लंबे समय से बनी हुई चिंताए, रोग व ऋण आदि से मुक्ति मिल सकती है।


कन्या—
कन्या राशि का स्वामी बुध है। जिसके साथ शनि का संबंध समय रहता है। आपकी राशि में शनि की ढ़ैय्या प्रवेश कर रही है जो कि चिंताजनक हो सकती है। शुरुआती कुछ समय धन हानि के योग बन सकते हैं। इस कारण आपके सुख-शांति भरे जीवन में कुछ खलल पड़ सकता है। समय के साथ-साथ उतार-चढ़ावों का सामना आपको करना पड़ सकता है। शारीरिक रूप से भी अपनी सेहत के प्रति सचेत रहें। शनि देव की पूजा आपके लिये अनिवार्य है।


तुला—
पाटन वाले पंडित दयानंद शास्त्री (मोबाईल–09669290067) के अनुसार  तुला राशि का स्वामी शुक्र है जो कि शनि के मित्र ग्रह हैं। आपकी राशि से शनि की साढ़े साती समाप्त हो रही है। शनि का परिवर्तन होने से पिछले सात सालों में परिश्रम, संयम, धैर्य का आपको मन अनुसार फल मिलने का योग है। आपके लिये शनि का राशि परिवर्तन काफी सुखद रहने के आसार हैं। व्यापार, कार्य, शिक्षा आदि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता आपके निकट रहने के आसार हैं। थोड़े से प्रयासों से आप इसे हथिया सकते हैं।


वृश्चिक—
वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है जिसके साथ शनि का मित्रवत संबंध माना जाता है। आपकी राशि से शनि का द्वितीय चरण समाप्त हो रहा है। आपकी राशि से ही शनि परिवर्तन कर रहे हैं जिसे ज्योतिष शास्त्र में उतर्राध दशा कहा जाता है। लंबे समय से अदालती मामलों, कार्यक्षेत्र, धन आदि में आ रही बाधाएं भी दूर होने के आसार बन सकते हैं। नये कार्यक्षेत्र, नये व्यवसाय के भी योग हैं आपके लिये शनि का परिवर्तन शुभ कहा जा सकता है।


धनु—
धनु राशि का स्वामी बृहस्पति है जिनके साथ शनि का संबंध सम है। आपकी राशि में ही शनि प्रवेश कर रहे हैं। पिछले ढ़ाई सालों से चली आ रही कठिनाइयां कुछ कम हो सकती हैं। हृद्य, श्वास संबंधी रोग होने की भी संभावना हो सकती है। अपने खान-पान का खास तौर पर ध्यान रखें। राशि परिवर्तन के कुछ समय बाद शनि वक्री भी होंगे लेन-देन के मामलों में भी विशेष सतर्कता बरतें। आपके लिये शनि का राशि परिवर्तन मध्यम कहा जा सकता है।


मकर—
पाटन वाले पंडित दयानंद शास्त्री (मोबाईल–09669290067) के अनुसार  मकर राशि के स्वामी स्वंय शनि है लेकिन राशि परिवर्तन के कारण मकर जातकों पर शनि की साढ़ेसाती शुरु हो रही है। इस कारण मकर जातकों को कार्यक्षेत्र से लेकर जीवन के विभिन्न पहलुओं में नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि स्वाराशि होने के कारण इसका फल आपके लिये मध्यम मिलने के आसार हैं। यदि आप चुनौतियों का डटकर मुकाबला करते हैं तो आने वाले समय में आप सफलता की मिसाल कायम कर सकते हैं। स्वास्थ्य का ध्यान रखें खासकर सिर आदि में चोट लगने या दर्द रहने के योग बन रहे हैं। शनिदेव की पूजा अर्चना करना आपके लिये लाभकारी सिद्ध हो सकता है।


कुंभ—
कुंभ राशि का स्वामी भी स्वयं शनि है। आपकी राशि से शनि का परिवर्तन ग्यारहवें भाव में हो रहा है जो कि लाभ का घर माना जाता है। विदेश जाने के इच्छुक जातकों के लिये मार्ग प्रशस्त हो सकता है। आपके लिये धन लाभ के भी योग बन रहे हैं। शनि का परिवर्तन आपके लिये हर क्षेत्र में लाभप्रद रहने के आसार हैं। ईमानदारी से अच्छे समय का उपयोग करें आने वाले समय में पूर्ण लाभ की प्राप्ति हो सकती है।


मीन–
पाटन वाले पंडित दयानंद शास्त्री (मोबाईल–09669290067) के अनुसार  मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति माने जाते हैं। इनके साथ शनि का मधुर संबंध माना जाता है। आपकी राशि से शनि का परिवर्तन दसवां होगा जोकि आपके कार्यक्षेत्र को दर्शाता है। कार्यक्षेत्र में सफलताएं मिलने का योग बने रहने के आसार हैं। जो जातक पिछले कुछ समय से रोजगार पाने के लिये प्रयासरत हैं उन्हें इच्छित क्षेत्र में रोजगार पाने के सुअवसर प्राप्त हो सकते हैं। आपकी राशि में शनि का परिवर्तन शुभ व खुशियां प्रदान करने वाला रह सकता है

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