हनुमान जयंती 


प्रिय पाठकों/मित्रों, …7 में  हनुमान जयंती 11 अप्रैल, दिन मंगलवार को मनाई जाएगी ।हनुमान जयंती भारत में लोगों के द्वारा हर साल, हिन्दू देवता हनुमान जी के जन्म दिवस को मनाने के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। भारतीय हिन्दी कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार हर साल चैत्र (चैत्र पूर्णिमा) माह के शुक्ल पक्ष में 15वें दिन मनाया जाता है। महाराष्ट्र में, यह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने की पूर्णिमा को मनाया जाती है। यद्यपि, अन्य हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, यह अश्विन माह के अंधेरे पक्ष में 14वें दिन पड़ती है। पूजा के बाद, पूरा आशीर्वाद पाने के लिए लोगों में प्रसाद बाँटा जाता है। माना जाता है की सुबह 4 बजे हनुमान जी ने  माँ अंजना के कोख से जन्म लिया था | वे भगवान् शिव के ११वे अवतार थे जो वानर देव के रूप में इस धरा पर राम भक्ति और राम कार्य सिद्ध करने अवतरित हुए थे |


तमिलानाडु और केरल में, यह मार्गशीर्ष माह (दिसम्बर और जनवरी के बीच में) में, इस विश्वास के साथ मनाई जाती है कि, भगवान हनुमान इस महीने की अमावश्या को पैदा हुए थे। उड़ीसा में, यह वैशाख (अप्रैल) महीने के पहले दिन मनाई जाती है। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में यह वैशाख महीने केक 10वें दिन मनाई जाती है, जो चैत्र पूर्णिमा से शुरु होती है और वैशाख महीने के 10वें दिन कृष्ण पक्ष पर खत्म होती है।


शास्त्रों के अनुसार हनुमान जयंती हर वर्ष दो बार मनाई जाती है, पहली चैत्र मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन और दूसरी कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन. अगर बाल्मीकि रामायण को पढ़े तो हनुमान जी का जन्म कर्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन हुआ था | पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार भगवान शिव जी ने माता अंजना के गर्भ से रुद्रावतार हनुमान का जन्म लिया था. हनुमान जी को चमत्कारिक सफलता देने वाला देवता माना जाता है. साथ ही इन्हें ऐसा देवता भी माना जाता है जो अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते है |


पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार हमारे हिंदू धर्म मे भगवान “हनुमान जी” सबसे अधिक लोकप्रिय देवता हैं। हनुमान के जन्म-दिन के रूप में हनुमान जयंती सारे विश्व भर में मनाई जाती है। हनुमान जी चिरंजीवी हैं, जिनको अमरत्व का वरदान प्राप्त है। भगवान राम भक्त हनुमान जी शक्ति और अप्रतिम निष्ठा तथा निःस्वार्थ सेवा के प्रतीक हैं। हनुमान को सबसे शक्तिशाली देवता के रूप में पूजा जाता है |श्री हनुमान जयंती त्यौहार   इन्होने भगवान श्री राम के चरणों में अपने जीवन को समर्प्रीत कर दिया और राम भक्ति में इनका कोई सानी नहीं है | ये अमर और चिरंजीवी है | इन्होने असंभव कार्यो को चुटकी भर पल में समूर्ण कर दिया है , अतः इन्हे संकट मोचक के नाम से भी पुकारा जाता है | इनकी भक्ति करने से हनुमान कृपा के द्वारा मनुष्य को शक्ति और समर्पण प्राप्त होता है | इनकी भक्ति से अच्छा भाग्य और विदुता भी प्राप्त होती है | 


पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार लोग हनुमान भगवान की पूजा आस्था, जादूई शक्तियों, ताकत और ऊर्जा के प्रतीक के रुप में करते हैं। लोग हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, क्योंकि यह बुरी शक्तियों का विनाश करने और मन को शान्ति प्रदान करने की क्षमता रखती है। इस दिन हनुमान भक्त सुबह जल्दी नहाने के बाद भगवान हनुमान जी के मंदिर जाते हैं और हनुमान जी की मूर्ति पर लाल सिंदूर (का चोला) चढ़ाते हैं, हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, लड्डू का प्रसाद चढ़ाते हैं, मंत्रों का जाप करते हुए आरती करते हैं, मंदिर की परिक्रमा आदि बहुत सारी रस्में करते हैं। जैसा कि सभी जानते हैं कि, हनुमान जी का जन्म वानर समुदाय में लाला-नारंगी शरीर के साथ हुआ था, इसी कारण, सभी हनुमान मंदिरों में लाल-नारंगी रंग की हनुमान जी की मूर्ति होती है। पूजा के बाद, लोग अपने मस्तिष्क (माथे) पर प्रसाद के रुप में लाल सिंदूर को लगाते हैं और भगवान हनुमान जी से माँगी गई अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए लोगों को लड्डू का वितरण करते हैं।पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार हनुमान जी भगवान राम के महानतम भक्त हैं। वह ब्रह्मचारी हैं और विन्रमता उनका चिह्न है। एक महान् भक्त और असाधारण ब्रह्मचारी थे। विन्रम,वीर और बुद्धिमान थे। वे सभी दैवी गुणों से संपन्न थे। उन्होने बिना किसी फल की अपेक्षा किये हुये विशुद्ध प्रेम और निष्ठा के साथ राम की सेवा की। वे एक आदर्श निःस्वार्थ कार्यकर्ता थे, वह एक सच्चे कर्म-योगी थे जिन्होने इच्छा रहित होकर सक्रियरूप से काम किया। 
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जानिए हनुमान जी के गुरु (आचार्य) क्यों हैं सूर्य देव—-


पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की  श्रीमद बाल्मीकि रामायण में उल्लेख है कि एक बार माता अंजनी जब घर पर नहीं थी तब हनुमान जी को बहुत जोर से भूख लगी जब उन्हें घर में कुछ भी खाने को प्राप्त नहीं हुआ तो उन्होंने उदीयमान सूर्य को स्वादिष्ट पका हुआ फल समझा तथा उन्होंने सूर्य को निगलने की कोशिश करने लगे उस समय सूर्य ग्रहण लगने वाला था राहु ने जब हनुमान जी को सूर्य के इतने पास देखा तो इसकी शिकायत उन्होंने इंद्र से की I सूर्य  को बचाने के हेतु इंद्र ने हनुमान पर वज्र से प्रहार किया जिससे हनुमान की ठोड़ी कुछ टेढ़ी हो गई तथा वे मूर्छित हो कर भूमि पर गिर गए यह देख कर पवन देव को दुःख हुआ व क्रुद्ध होकर उन्होंने अपनी गति बंद कर दी फलस्वरूप सभी के प्राण संकट में पड़ गए तब सभी देव ब्रह्मा जी को साथ ले कर पवन देव के पास गएउन्हें प्रसन्न कर हनुमानजी को आशीष सहित शस्त्रादि प्रदान किये साथ ही सूर्यदेव ने उन्हें अपना तेज दे कर शिष्य बनाया प्ररन्तु जब सूर्य देव के पास वे शिक्षा प्राप्त करने गए तो सूर्य देव ने उनको टालने के लिए कहा कि वे स्थिर रह कर शिक्षा नहीं दे सकते है तब ज्ञान के भूखे हनुमान जी ने सूर्य देव की ओर मुख कर पीठ की ओर गमन कर विद्या प्राप्त की इसी प्रकार उन्होंने सूर्य देव से सभी प्रकार की शिक्षा प्राप्त की
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जानिए हनुमान जी के इष्ट क्यों हैं प्रभु श्री राम—-


जब हनुमान जी अपने इष्ट श्री राम से मिले तो श्री राम जी उनकी भाषा व वाणी से प्रभावित हो कर लक्ष्मण जी से बोले कि जिसने ऋग्वेद का ज्ञान न लिया हो जिसने यजुर्वेद का अभ्यास न किया हो जो सामवेद का विद्वान न हो, वह ऐसे सुन्दर बोल नहीं बोल सकता इसके पश्चात भी कई बार उनकी बुद्धिमानी प्रमाणित हुई थी जैसे कि सीता खोज में जब वे गए थे तब सुरसा ने भी उनकी परीक्षा ली थी|


सूर्य देव कि इच्छा अनुसार वे सुग्रीव की रक्षा करने गए थे तथा जब सुग्रीव को भय न रहा तब उन्होंने स्वयं हनुमान को श्री राम की सेवा में जाने के लिए कह दिया क्योंकि हनुमान का मन श्री राम में बसता था


व्रत विधि– पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार व्रती को चाहिए कि वह व्रत की पूर्व रात्रि को ब्रह्मचर्य का पालन करे तथा पृथ्वी पर शयन करें प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर श्रीराम- जानकी हनुमान जी का स्मरण कर नित्य क्रिया से निवृत हो स्नान करें हनुमान जी की प्रतिमा की प्रतिष्ठा करें षोडशोपचार विधि से पूजन करें ॐ हनुमते नमः मंत्र से पूजा करें इस दिन वाल्मीकि रामायण तुलसीकृत श्री राम चरित्र मानस के सुंदरकांड का या हनुमान चालीसा के अखंड पाठ का आयोजन चाहिए हनुमान जी का गुणगान भजन एवं कीर्तन करना चाहिए हनुमान जी के विग्रह का सिंदूर श्रंगार करना चाहिए! नैवेध मे गुड, भीगा चना या भुना चना तथा बेसन के लड्डू रखना चाहिए
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जानिए हनुमान जयंती को कब और कैसे मनाते हैं ??


प्रभु श्री हनुमान, भगवान श्री राम के बहुत बड़े भक्त, पूरे भारत में हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा प्रभु श्री राम में अपनी गहरी आस्था के कारण पूजे जाते हैं। हनुमान जयंती के दिन पर, सभी हनुमान मंदिरों में बहुत अधिक भीड़ हो जाती है, क्योंकि लोग सुबह पवित्र स्नान करने के बाद से ही इनकी पूजा करना शुरु कर देते हैं। हनुमान जयंती हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा हिन्दूओं के एक महत्वपूर्ण त्योहार के रुप में बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाई जाती है। यह एक महान हिन्दू उत्सव है, जो सांस्कृतिक और परंपरागत तरीके से मनाया जाता है।


पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार हनुमान जयन्ती के इस दिन हनुमान भक्तो की भरी भीड़ बालाजी मंदिरों में अपने आराध्य देव महावीर हनुमान के दर्शन करने और उनका आशीष लेने जाते है | बड़ी उत्सुकता और जोश के साथ समर्प्रित होकर इनकी पूजा की जाती है | कहा जाता है की ये बाल ब्रह्मचारी थे इसलिए इन्हे जनेऊ भी पहनाई जाती है . हनुमान जी की मूर्तियों पर सिंदूर और चांदी का व्रक चढ़ाया जाता है | कहा जाता है राम की लम्बी उम्र के लिए एक बार हनुमान जी अपने पुरे शरीर पर सिंदूर चदा लिया था और इसी कारण उन्हें और उनके भक्तो को सिंदूर चदाना बहूत अच्छा लगता है | संध्या के समय दक्षिण मुखी हनुमान मूर्ति के सामने शुद्ध होकर हनुमान जी के चमत्कारी मंत्रो का भी जाप किया जाये तो यह अति फलदाई है | हनुमान जयंती पर रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड >पाठ को पढना भी हनुमानजी को प्रसन्न करता है |
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जानिए हनुमान जयंती मनाने का महत्व—


पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की हनुमान जयंती का समारोह प्रकृति के अद्भुत प्राणी के साथ पूरी हनुमान प्रजाति के सह-अस्तित्व में संतुलन की ओर संकेत करता है। प्रभु हनुमान वानर समुदाय से थे, और हिन्दू धर्म के लोग हनुमान जी को एक दैवीय जीव के रुप में पूजते हैं। यह त्योहार सभी के लिए बहुत अधिक महत्व रखता है, हालांकि ब्रह्मचारी, पहलवान और बलवान इस समारोह की ओर से विशेष रुप से प्रेरित होते हैं। हनुमान जी अपने भक्तों के बीच में बहुत से नामोंसे जाने जाते हैं; जैसे- बजरंगवली, पवनसुत, पवन कुमार, महावीर, बालीबिमा, मारुतसुत, संकट मोचन, अंजनिसुत, मारुति, आदि।


हनुमान अवतार को महान शक्ति, आस्था, भक्ति, ताकत, ज्ञान, दैवीय शक्ति, बहादुरी, बुद्धिमत्ता, निःस्वार्थ सेवा-भावना आदि गुणों के साथ भगवान शिव का 11वाँ रुद्र अवतार माना जाता है। इन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान श्री राम और माता सीता की भक्ति में लगा दिया और बिना किसी उद्देश्य के कभी भी अपनी शक्तियों का प्रदर्शन नहीं किया। हनुमान भक्त हनुमान जी की प्रार्थना उनके जैसा बल, बुद्धि, ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए करते हैं। इनके भक्तों के द्वारा इनकी पूजा बहुत से तरीकों से की जाती है; कुछ लोग अपने जीवन में शक्ति, प्रसिद्धी, सफलता आदि प्राप्त करने के लिए बहुत समय तक इनके नाम का जाप करने के द्वारा ध्यान करते हैं, वहीं कुछ लोग इस सब के लिए हनुमान चालीसा का जाप करते हैं।
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जानिए हनुमान जयंती को मनाने के पीछे का इतिहास—


एक बार, एक महान संत अंगिरा स्वर्ग के स्वामी, इन्द्र से मिलने के लिए स्वर्ग गए और उनका स्वागत स्वर्ग की अप्सरा, पुंजीक्ष्थला के नृत्य के साथ किया गया। हालांकि, संत को इस तरह के नृत्य में कोई रुचि नहीं थी, उन्होंने उसी स्थान पर उसी समय अपने प्रभु का ध्यान करना शुरु कर दिया। नृत्य के अन्त में, इन्द्र ने उनसे नृत्य के प्रदर्शन के बारे में पूछा। वे उस समय चुप थे और उन्होंने कहा कि, मैं अपने प्रभु के गहरे ध्यान में था, क्योंकि मुझे इस तरह के नृत्य प्रदर्शन में कोई रुचि नहीं है। यह इन्द्र और अप्सरा के लिए बहुत अधिक लज्जा का विषय था; उसने संत को निराश करना शुरु कर दिया और तब अंगिरा ने उसे शाप दिया कि, “देखो! तुमने स्वर्ग से पृथ्वी को नीचा दिखाया है। तुम पर्वतीय क्षेत्र के जंगलों में मादा बंदर के रुप में पैदा हो।”


उसे फिर अपनी गलती का अहसास हुआ और संत से क्षमा याचना की। तब उस संत को उस पर थोड़ी सी दया आई और उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया कि, “प्रभु का एक महान भक्त तुमसे पैदा होगा। वह सदैव परमात्मा की सेवा करेगा।” इसके बाद वह कुंजार (पृथ्वी पर बन्दरों के राजा) की बंटी बनी और उनका विवाह सुमेरु पर्वत के राजा केसरी से हुआ। उन्होंने पाँच दिव्य तत्वों; जैसे- ऋषि अंगिरा का शाप और आशीर्वाद, उसकी पूजा, भगवान शिव का आशीर्वाद, वायु देव का आशीर्वाद और पुत्रश्रेष्ठी यज्ञ से हनुमान को जन्म दिया। यह माना जाता है कि, भगवान शिव ने पृथ्वी पर मनुष्य के रुप पुनर्जन्म 11वें रुद्र अवतार के रुप में हनुमान वनकर जन्म लिया; क्योंकि वे अपने वास्तविक रुप में भगवान श्री राम की सेवा नहीं कर सकते थे।


सभी वानर समुदाय सहित मनुष्यों को बहुत खुशी हुई और महान उत्साह और जोश के साथ नाचकर, गाकर, और बहुत सी अन्य खुशियों वाली गतिविधियों के साथ उनका जन्मदिन मनाया। तब से ही यह दिन, उनके भक्तों के द्वारा उन्हीं की तरह ताकत और बुद्धिमत्ता प्राप्त करने के लिए हनुमान जयंती को मनाया जाता है।


हनुमान मंत्र:


मनोजवं मारुततुल्यवेगम्


जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।


वातात्मजं वानरयूथमुख्यं


श्री रामदूतं शरणं प्रपद्ये।।
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हनुमान जी की आरती—


आरती किजे हनुमान लला की| दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरवर काँपे | रोग दोष जाके निकट ना झाँके ॥


अंजनी पुत्र महा बलदाई| संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए| लंका जाए सिया सुधी लाए॥


लंका सा कोट समुंद्र सी खाई| जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जाई असुर संहारे| सियाराम जी के काज सँवारे॥


लक्ष्मण मूर्छित पडे सकारे| लानि संजिवन प्राण उबारे॥
पैठि पताल तोरि जम कारे| अहिरावन की भुजा उखारे॥


बायें भुजा असुर दल मारे| दाहीने भुजा सब संत जन उबारे॥
सुर नर मुनि जन आरती उतारे| जै जै जै हनुमान उचारे॥


कचंन थाल कपूर लौ छाई| आरती करत अंजना माई॥
जो हनुमान जी की आरती गावे| बसहिं बैकुंठ परम पद पावें॥


लंका विध्वंश किए रघुराई| तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई॥
आरती किजे हनुमान लला की| दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥




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जानिए हनुमान जयंती पर किये जाने वाले उपाय /टोटके—


हनुमान जयंती के टोटके विशेष फल प्रदान करते है। हनुमान जयंती का दिन हनुमानजी और मंगल देवता की विशेष पूजा का दिन होता है। यह टोटके हनुमान जयंती से आरंभ कर प्रति मंगलवार को करने से मनोकामनाओं की पूर्ती होती है। पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार कोई व्यक्ति जब तरक्की करता है, तो उसकी तरक्की से जल कर उसके अपने ही उसके शत्रु बन जाते हैं और उसे सहयोग देने के स्थान पर वही उसके मार्ग को अवरूद्ध करने लग जाते हैं। ऎसे शत्रुओं से निपटना अत्यधिक कठिन होता है। 


—-हनुमान जयंती के दिन 11 पीपल के पत्ते लें। उनको गंगाजल से अच्छी तरह धोकर लाल चंदन से हर पत्ते पर 7 बार राम लिखें। इसके बाद हनुमान जी के मन्दिर में चढा आएं तथा वहां प्रसाद बाटें और इस मंत्र का जाप जितना कर सकते हो करें। “जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करो गुरू देव की नांई”हनुमान जयंती के बाद 7 मंगलवार इस मंत्र का लगातार जप करें। प्रयोग गोपनीय रखें। आश्चर्यजनक धन लाभ होगा। हनुमान जयंती का विशेष टोटका बजरंगबली चमत्कारिक सफलता देने वाले देवता माने गए हैं। हनुमान जयंती पर उनका यह टोटका विशेष रूप से धन प्राçप्त के लिए किया जाता है। साथ ही यह टोटका हर प्रकार का अनिष्ट भी दूर करता है…. 


-कच्ची धानी के तेल के दीपक में लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें। संकट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा। 
– पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार अगर धन लाभ की स्थितियां बन रही हो, किन्तु फिर भी लाभ नहीं मिल रहा हो, तो हनुमान जयंती पर गोपी चंदन की नौ डलियां लेकर केले के वृक्ष पर टांग देनी चाहिए। स्मरण रहे यह चंदन पीले धागे से ही बांधना है।
 -एक नारियल पर कामिया सिन्दूर, मौली, अक्षत अर्पित कर पूजन करें। फिर हनुमान जी के मन्दिर में चढा आएं। धन लाभ होगा। 
– पीपल के वृक्ष की जड में तेल का दीपक जला दें। फिर वापस घर आ जाएं एवं पीछे मुडकर न देखें। धन लाभ होगा।
—हनुमानजी के चरणों में और उनकी सेवा में खुद को समर्प्रित करे |
—हनुमान चालीसा नित्य पढ़े या तो सुबह नहाने के बाद या रात्रि में सोने से पहले | हो सके तो रोज हनुमान के किसी भी मंदिर में जाकर दर्शन करे |
—हनुमानजी को अतिखुश करना हो तो श्री राम का भी सुमिरण करे |
—-केले और गुड चना का प्रसाद वानरों और जरुरतमंदों को दे |
—पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार हनुमान जयंती के दिन सुन्दरकांड, हनुमान चालीसा, हनुमत अष्टक और बजरंग बाण की पूजा करनी चाहियें. क्योकि इस शुभ दिन पर हनुमान जी की पूजा करने से सभी पापो से मुक्ति भी मिलती है और घर में सुख शांति वास करती है.
—-साथ ही अगर आप रामायण और राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करते हो तो आपको मानसिक और शारीरक शक्ति मिलती है. 
—- इस दिन आप हनुमान जी की पूजा करें और उन्हें सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं. ये उपाय आपके जीवन में और आपके परिवार में शुभता को लाता है. 
—- अगर आप दुर्घटनाओं से बचना चाहते हो तो आप हनुमान जयंती के दिन या फिर साल में कम से कम एक बार तो किसी मंगलवार के दिन अपने खून का दान अवश्य करें.
—- पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार अपने दुश्मनों से मुक्ति को पाने के लिए आप हनुमान जयंती के दिन 5 देशी घी से बने रोट का भोग हनुमान जी को करायें.
—-हनुमान चालीसा के एक एक शब्द का अर्थ जाने और पढ़ते समय मन लगाकर पढ़े |
—हनुमान मंदिरों में दान करे |
—-हनुमान जी भक्ति सयंम और पूर्ण समर्प्रित होकर करे |
—-मंगलवार और शनिवार को बालाजी का व्रत करे |
—अपनी मानवता और अच्छे गुणों को बढ़ाये, नारी और बच्चो के प्रति सम्मान रखे |
—हनुमान चालीसा की पुस्तिका मंदिरों में और हनुमान भक्तो में बटवाए |
—-जरुरतमंदो के लिए दान जरुर करे |
—-सप्ताह में एक बार हनुमान जी के सुन्दरकाण्ड का पाठ जरुर करे |
—-हो सके तो हनुमान जी के नाम की माला या अंगूठी जरुर पहने |
—-पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार अगर आपके व्यापार में दिन प्रतिदिन गिरावट हो रही है तो आप अपने व्यापार में वृद्धि के लिए हनुमान जयंती के दिन सिंदूरी रंग के लंगोट को हनुमान जी को पहनाएं. आपके व्यापार में दिन दोगुनी और रात चौगुनी उन्नति होने लागगी. 
—-अगर आप हनुमान जयंती के दिन ही किसी हनुमान मंदिर की छत पर लाल झंडा लगते हो तो इससे आपको आप पर आने वाले आकस्मिक संकटो से मुक्ति मिलती है. 
—अगर आप किसी मानसिक रोगी की सेवा करते हो तो इससे हनुमान जी बहुत प्रसन्न होते है और आपके साथ हमेशा रहते है. साथ ही ऐसा करने से हनुमान जी आपसे आपकी सारी चिंताओ को दूर कर देते है और आपकी मानसिक स्थिति को अच्छा करते है.
–हनुमान जयंती के दिन आप कच्ची धानी के तेल का एक दीपक लें और उसमे एक लौंग डाल लें, इसके बाद आप दीपक को जला कर उससे हनुमान जी की आरती करें. इस टोटके को अपनाने से आपके सभी संकट दूर होते है और आपको धन की प्राप्ति होती है |
—आँकड़े का फूल—
हनुमान जी को आँकड़े के फूल चड़ाने से भी कार्यो मे आ रही बाधाए दूर होती है और कम समय पर पूरा होता है |
—-चुरमे का भोग—-
पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार यदि दोपहर में हनुमान जी की पूजा करते है तो उस पूजा में घी और गुड का भोग लगाए, या गेंहू की मोटी रोटी बनाए और उसमें घी और गुड मिला कर चुरमा बनाए फिर इस चुरमे का भोग लगाए |


—हनुमान जी को लाल फुलो के साथ जनैउ, सुपारी भी अर्पित करना चहिय|
—गाय के सुध घी से बने पकवान का भोग हनुमान जी को कभी लगाया जा सकता है|
—-पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार यदि शाम को या रात में हनुमान जी पूजा करते हैं तो फल का भोग, विशेष रूप से लगाना चाहिए|
—चमेली के तैल का दीपक—-
चमेली के तैल का पाँच बत्तियों वाला दीपक हनुमान जी के सामने जलाए एवं इस मंत्र का जप करें–
“साज्यम च वर्तिसम युक्त वहिनाम योजितम मया| दीपं ग्रहान देवेश प्रसीद परमेश्वर ||”
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